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मॉब लिंचिंग पीड़ितों को मुआवजा देने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार 

सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, 11 फरवरी (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में मॉब लिंचिंग पीड़ितों के लिए एक समान मुआवजे देने की मांग करने वाली याचिका पर कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया है। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हम दिल्ली में बैठ कर देशभर में मॉब लिचिंग के मामलों की माॅनिटरिंग नहीं कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई व्यक्ति पीड़ित है तो कानून के अनुसार सक्षम न्यायालय से संपर्क कर सकता है। कोर्ट ने कहा कि यह राज्य और कोर्ट का अधिकार है कि वो मुआवजा तय करे। कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि कानून को लागू करने के सवाल पर उन राज्यों के हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करनी चाहिए, जिन राज्यों ने इस कानून को लागू नहीं किया है। कोर्ट ने पूछते हुए कहा कि मॉब लिंचिंग के मामलों में उचित मुआवजा क्या होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को साधारण चोट लगती है और दूसरे को गंभीर चोट लगती है, तो उन दोनों को एक समान मुआवजे का निर्देश अन्यायपूर्ण होगा। ऐसे में यह हर मामले में अलग-अलग होगा और ऐसे में कोई एक समान निर्देश जारी नहीं किया जा सकता, अगर ऐसा किया जाता है तो इसका मतलब होगा कि अधिकारियों या अदालतों के पास उपलब्ध उनके विवेकाधिकार को खत्म करने जैसा होगा।

केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने तहसीन पूनावाला मामले में दिशा-निर्देश जारी कर चुका है। भारतीय न्याय संहिता के तहत भी इसे अपराध घोषित किया गया है। कानून को अपना काम करने देना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि जब घटनाएं होती है तब राज्य का कर्तव्य है कि वह सुनिश्चित करें कि ऐसी घटना न हो और अगर ऐसी घटना होती है तो फिर मुकदमा चलाए। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत मामलों पर गौर किया जा सकता है।

(Udaipur Kiran) /संजय

(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम

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