
नई दिल्ली, 28 अप्रैल (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट ने कैश फॉर जॉब मामले से जुड़े मनी लांड्रिंग के मामले में तमिलनाडु के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी के मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उन्हें मिली जमानत को निरस्त करने से इनकार कर दिया है। जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया। इस मामले के एक गवाह विद्या कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि सेंथिल बालाजी को मिली जमानत को वापस लेने की मांग की थी।
इसके पहले 23 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने सेंथिल बालाजी से कहा था कि या तो आप मंत्री पद छोड़ें या आपकी जमानत निरस्त कर दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फटकार के बाद सेंथिल बालाजी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। कोर्ट ने इस बात पर गौर किया था कि एक मंत्री के रुप में सेंथिल बालाजी ने शिकायतकर्ता पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया। कोर्ट ने कहा था कि जमानत ट्रायल में देरी और लंबे समय तक हिरासत में रहने के आधार पर दी गई थी, मामले के गुण-दोष के आधार पर नहीं। इसके पहले सुनवाई के दौरान सेंथिल बालाजी ने कहा था कि दोबारा मंत्री बनने से उन्हें मिली जमानत की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं होता है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 26 सितंबर 2024 को जमानत दी थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में उनकी जमानत निरस्त करने के आदेश की मांग करने पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता ने राजनीतिक विरोधियों की शह पर ये याचिका दायर की है। बालाजी ने कहा था कि याचिकाकर्ता की याचिका में इस बात का कोई उल्लेख नहीं है कि उन्होंने जमानत की किन शर्तों का उल्लंघन किया है।
याचिका में कहा गया था कि सेंथिल बालाजी को जमानत मिलने के तुरंत बाद उन्हें मंत्री बना दिया गया, जिसकी वजह से गवाहों पर प्रभाव और दवाब होगा और वह अपनी गवाही से मुकर सकते हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो जमानत देने के आदेश को वापस नहीं लेगी, क्योंकि इससे दूसरे लोगों को भी लाभ मिल सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस याचिका पर वो नोटिस जारी नहीं कर रही है, लेकिन वो सिर्फ इस दलील पर विचार करेगा जिसमें यह आशंका जताई गई थी कि जमानत देने से क्या गवाह प्रभावित हो रहे हैं।
बालाजी को 14 जून, 2023 को गिरफ्तार किया गया था। 12 अगस्त, 2023 को बालाजी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। बालाजी के खिलाफ तमिलनाडु राज्य परिवहन विभाग में बस कंडक्टरों की नियुक्ति के साथ-साथ ड्राइवरों और जूनियर इंजीनियरों की नियुक्ति में कथित अनियमितताओं से जुड़ा मामला है। ये सभी नियुक्तियां 2011 और 2015 के बीच सरकार में परिवहन मंत्री के रूप में बालाजी के कार्यकाल के दौरान की गईं।
(Udaipur Kiran) /संजय———–
(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम
