काठमांडू , 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपनी पार्टी के मुख्यालय भवन निर्माण के लिए विवादित व्यापारी से जमीन दान में लेने पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट से प्रधानमंत्री ओली और उनकी पार्टी के लिए यह एक बड़ा झटका है।
कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री ओली ने देश के बड़े व्यापारी से एक बिगहा जमीन दान में लेकर पार्टी मुख्यालय निर्माण के लिए भूमि पूजन किया था। प्रधानमंत्री ने जिस व्यापारी मीन बहादुर गुरूंग से यह जमीन दान में लिया था उस व्यापारी पर भ्रष्टाचार के आरोप में सुप्रीम कोर्ट में ही कई मामले लंबित है। नेपाल के सबसे बड़े जमीन घोटाले ललिता निवास कांड में गुरूंग को मुख्य साजिशकर्ता के रूप में सुप्रीम कोर्ट में चार्जशीट दायर कर मुकदमा चलाया जा रहा है। इसी मामले में गुरूंग करीब 9 महीने तक जेल में थे और इस समय जमानत पर बाहर है।
प्रधानमंत्री ओली द्वारा आपराधिक चरित्र वाले व्यक्ति से जमीन दान में लेने पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के वकील जान बहादुर बस्नेत के तरफ से दायर की गई रिट याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए न्यायाधीश सुनील पोखरेल ने इस मामले पर अंतिम फैसला नहीं आने तक अंतरिम रोक लगा दिया है। इस मामले पर अंतरिम आदेश सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दान में मिले जमीन का हस्तांतरण नहीं करने और वहां पर चल रहे निर्माण कार्य को फिलहाल स्थगित करने को कहा है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी व्यक्ति से प्रधानमंत्री के पद पर बैठे व्यक्ति के द्वारा जमीन दान में लेने से न सिर्फ नैतिकता का बल्कि देने और लेने वाले की नीयत पर भी शंका उत्पन्न हुआ है। कोर्ट ने दान देने वाले और दान लेने वाले दोनों पक्षों को 15 दिन के भीतर लिखित जवाब देने को कहा है।
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(Udaipur Kiran) / पंकज दास