
देहरादून, 02 मई (Udaipur Kiran) । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने एक राष्ट्र-एक चुनाव पर संगोष्ठी को शुक्रवार को संबोधित करते हुए कहा कि बार-बार चुनाव देश के विकास में बाधा हैं। बीते 30 वर्षों में एक भी साल ऐसा नहीं रहा, जिसमें चुनाव न हुआ हो। अब चुनावी प्रकिया में बदलाव की आवश्यकता है और यह बदलाव श्रेष्ठ व विकसित भारत के लिए विशेष मायने रखता है।
शुक्रवार शाम स्वर्णिम देवभूमि फाउंडेशन की ओर से हाथीबड़कला स्थित सर्वे ऑडिटोरियम में एक राष्ट्र ,एक चुनाव विषय पर आयोजित प्रबुद्ध जन सम्मेलन को संबोधित करते हुए बतौर मुख्य वक्ता और इस जन जागरण अभियान के राष्ट्रीय प्रभारी सुनील बंसल ने यह यह बातें कही।
इस मौके पर सुनील बंसल ने कहा कि बार-बार के चुनाव से देश का विकास और जनकल्याण की योजनाएं बाधित होती हैं। विगत 30 सालों से देखें तो कोई ऐसा वर्ष नहीं रहा जिसमें किसी एक राज्य का चुनाव संपन्न नहीं हुआ हो। अनियंत्रित तरीके से होने वाले यह चुनाव देश की प्रगति में स्पीड ब्रेकर का काम करते हैं। हमें एक साथ चुनाव की प्रक्रिया अपनाकर, ऐसे गतिरोधकों को उखाड़ना है। इस सुधार को अपनाकर, देश के राजनीतिक एजेंडा में बड़ा बदलाव आएगा। क्योंकि चुनाव, विकास के मुद्दे पर होंगे और पांच साल में एक बार चुनाव होने से राजनेताओं की जवाबदेही बढ़ेगी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कोई नया विचार नहीं है बल्कि 1952 से लेकर 1967 तक चार चुनाव देश में इसी प्रक्रिया से संपन्न हुए हैं। दअरसल,असल समस्या तब हुई जब इंदिरा गांधी ने राजनैतिक लाभ के लिए एक के बाद एक अनुच्छेद 356 के दुरूपयोग कर चुनी हुई सरकारों को गिराया और देश को चुनावी दलदल में फंसा दिया। आज भी उनका विरोध कांग्रेस और इंडी गठबंधन का पाखंड है। ये विपक्ष की एक ऐसी प्रवृत्ति को उजागर करता है, जिसमें मोदी सरकार की ओर से उठाए गए किसी भी सुधारात्मक कदम का विरोध किया जाता है’भले ही वह सार्वजनिक हित के लिए हो।
सुनील बंसरल ने एक देश एक चुनाव पर तैयार रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार की ओर से तैयार इस विधेयक के सभी पहलुओं पर गहन विचार विमर्श के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था। समिति ने कुल 62 राजनीतिक दलों से इस प्रस्ताव पर सुझाव मांगे, जिसमें 47 दलों ने अपनी प्रतिक्रिया दी, 32 दलों ने समकालिक चुनाव के पक्ष और 15 ने इसका विरोध में राय दी।
उन्होंने कहा कि चुनावी खर्च की ही बात करें तो एक अनुमान के मुताबिक,केवल 2024 के लोकसभा चुनावों में ही एक लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च हुए, जो देश के वित्तीय संसाधनों पर एक बड़ी लागत को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि 2024 में देश में एकसाथ चुनाव हुए होते तो यह देश के सकल घरेलू उत्पाद में 1.5 प्रतिशत अंकों की वृद्धि कर सकता था, जो भारतीय अर्थव्यवस्था में 4.5 लाख करोड़ रुपये जितना होता।
सुनील बंसल ने एक देश एक चुनाव के अन्य फायदों का जिक्र करते हुए कहा इससे एक ही बार में अधिकांश लोगों के चुनाव लड़ने से लोगों को अवसर मिलेगा। परिवारवादी पार्टियों को इससे दिक्कत हो सकती है लेकिन पांच साल में एक बार मतदान से वोट की ताकत बढ़ेगी। शासन प्रशासन में गुड गवर्नेंस को बढ़ावा मिलेगा।
इस मौके पर बंसल ने धामी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि उत्तराखंड ने यूसीसी लागू कर देश के समक्ष एक आदर्श प्रस्तुत किया है। अन्य राज्य भी इसका अनुपालन करने लिए उत्सुक दिख रहे हैं।
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(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार
