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सुकांत मजूमदार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर ममता बनर्जी के खिलाफ की शिकायत

भाजपा का विरोध प्रदर्शन

कोलकाता, 28 अगस्त (Udaipur Kiran) । केंद्रीय शिक्षा एवं उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। यह पत्र तब लिखा गया, जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज कोलकाता में तृणमूल छात्र परिषद (टीएमसीपी) के एक कार्यक्रम में कथित तौर पर हिंसा को बढ़ावा देने वाले बयान दिए।

सुकांत मजूमदार ने अपने पत्र में लिखा कि ममता बनर्जी ने अपने भाषण में कहा, मैंने कभी बदला नहीं मांगा, लेकिन अब जो करना है, वह करना होगा। इस बयान को मजूमदार ने बदले की राजनीति का खुला समर्थन बताते हुए इसे खतरनाक और असंवैधानिक करार दिया है। इसके साथ ही ममता बनर्जी के इस बयान पर भी उन्होंने आपत्ति जताई, जिसमें उन्होंने कहा, याद रखो, अगर बंगाल जलेगा, तो असम, बिहार, झारखंड, ओडिशा, और दिल्ली भी जलेंगे। सुकांत मजूमदार ने इसे राष्ट्रविरोधी बयान बताया है और कहा कि यह बयान घृणा फैलाने और हिंसा भड़काने के उद्देश्य से दिया गया है।

पत्र में आगे कहा गया है कि मुख्यमंत्री का यह बयान उस व्यक्ति की आवाज नहीं हो सकती, जो संवैधानिक पद पर आसीन है। मजूमदार ने ममता बनर्जी के बयान को जनता के बीच हिंसा फैलाने और डर पैदा करने का एक स्पष्ट प्रयास बताया है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री अब इस महत्वपूर्ण पद को धारण करने के योग्य नहीं हैं और उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।

सुकांत मजूमदार ने अपने पत्र में यह भी कहा कि हर सार्वजनिक सेवक का कर्तव्य होता है कि वह शांति को बढ़ावा दे और किसी भी तरह की हिंसा को हतोत्साहित करे, खासकर जब वह इतने उच्च पद पर हो। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का इस बैठक के दौरान लिया गया रुख चिंताजनक है और इससे पश्चिम बंगाल के नागरिकों की सुरक्षा और राज्य की अखंडता पर खतरा मंडरा रहा है।

सुकांत मजूमदार ने गृह मंत्री अमित शाह से आग्रह किया है कि वह इस गंभीर मामले का संज्ञान लें और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए उचित कदम उठाएं ताकि कानून के शासन और सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखा जा सके। उन्होंने अमित शाह से आग्रह किया है कि वह इस मामले में तुरंत और निर्णायक कार्रवाई करें ताकि पश्चिम बंगाल के नागरिकों के हितों की रक्षा की जा सके और देश के संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखा जा सके।

यह पत्र ऐसे समय में आया है जब पश्चिम बंगाल की राजनीति में तनाव बढ़ रहा है और विभिन्न दलों के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि गृह मंत्रालय इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और पश्चिम बंगाल की राजनीति में यह पत्र क्या प्रभाव डालता है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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