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माता-पिता और वरिष्ठों के सहयोग से सुजाता कुजूर की नजर ओलंपिक खेलों पर

21 वर्षीय डिफेंडर सुजाता कुजूर

नई दिल्ली, 6 मई (Udaipur Kiran) । ओडिशा के सुंदरगढ़ की गलियों से निकली 21 वर्षीय डिफेंडर सुजाता कुजूर अब भारतीय महिला हॉकी टीम के सीनियर कैम्प का हिस्सा बन चुकी हैं। हाल ही में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर सीनियर टीम के साथ अपना पहला अंतरराष्ट्रीय दौरा पूरा किया, जो कि हॉकी की दुनिया में सबसे चुनौतीपूर्ण माने जाने वाले टूर में से एक है।

अपने पहले अंतरराष्ट्रीय दौरे को याद करते हुए सुजाता ने हॉकी इंडिया के हवाले से कहा, “यह मेरे लिए बहुत ही खास अनुभव रहा। सीनियर टीम के साथ पहली बार खेलने का मौका मिला, जहां थोड़ा दबाव भी महसूस हुआ, लेकिन सीनियर खिलाड़ियों से बहुत कुछ सीखने को मिला। खासकर यह कि वो ट्रेनिंग और मैचों को कैसे लेते हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “सीनियर खिलाड़ी बेहद सहयोगी और प्रेरणादायक रहे। उन्होंने मुझे समझाया कि बेवजह का दबाव लेने की जरूरत नहीं है, बस अपने स्वाभाविक खेल पर ध्यान दो। सबने मुझे बहुत सपोर्ट किया।”

टूटी चप्पल, उधार का स्टिक, लेकिन हौसला कभी नहीं टूटा

सुजाता की हॉकी यात्रा आसान नहीं रही। दीप ग्रेस एका को अपना आदर्श मानने वाली सुजाता ने मात्र 10 साल की उम्र में हॉकी खेलना शुरू किया था। आर्थिक स्थिति कमजोर थी, लेकिन उनके जज़्बे में कोई कमी नहीं आई।

उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, “शुरुआत में मेरे पास न स्टिक थी, न ही जूते। टीम के बाकी खिलाड़ियों से उधार लेकर खेलती थी। कई बार फटे जूतों की वजह से नंगे पांव भी खेला, लेकिन कभी रुकने का मन नहीं किया।”

तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी सुजाता को अपने परिवार से हमेशा समर्थन मिला। उन्होंने बताया, “मेरे माता-पिता ने कभी यह नहीं कहा कि हॉकी मत खेलो। उन्होंने हमेशा कहा—जो करना है, दिल से करो और मेहनत मत छोड़ो।”

ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए चुने जाने की खुशी आज भी उनकी आंखों में चमकती है। उन्होंने कहा, “जब मेरा चयन हुआ, तो पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। मैं तो खुद यकीन नहीं कर पाई, क्योंकि हाल ही में नेशनल कैम्प में शामिल हुई थी। यह हम सबके लिए गर्व का क्षण था।”

ओलंपिक में खेलने का सपना, भारत का नाम रोशन करने की चाहत

सुजाता ने पर्थ में खेले गए फ्रेंडली मुकाबलों में भारत की ओर से अपनी पहली उपस्थिति दर्ज की है। अब उनका अगला लक्ष्य ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करना है। उन्होंने आत्मविश्वास से कहा, “मेरा सपना है कि मैं भारत के लिए और भी मैच खेलूं। ओलंपिक जैसे बड़े टूर्नामेंट में टीम इंडिया का हिस्सा बनूं और देश का नाम रोशन करूं।”

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(Udaipur Kiran) दुबे

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