
जयपुर, 16 मई (Udaipur Kiran) । ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर 27 मई को वट सावित्री व्रत रखा जाएगा। यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए रखती हैं।
आचार्य गौरी शंकर शर्मा बोरखेड़ा ने बताया कि यह व्रत सावित्री और सत्यवान की कथा से जुड़ा हैं। अश्वपति की बेटी सावित्री ने अपने पतिव्रत धर्म से यमराज को प्रसन्न कर पति को जीवनदान दिलाया था। इसी कारण यह व्रत अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता हैं। इस बार अमावस्या तिथि 27 मई को सुबह 8:34 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार व्रत 27 मई को रखा जाएगा। इस दिन महिलाएं वटवृक्ष की पूजा करेंगी। व्रत के दौरान गंगाजल, अक्षत, रक्षासूत्र, चना, फूल, सिंदूर, धूप और कच्चा सूत पूजा में उपयोग किया जाएगा। वटवृक्ष के चारों ओर सूत को 5 से 7 बार लपेटकर पूजा की जाती हैं। आचार्य गौरी शंकर शर्मा बोरखेड़ा ने बताया कि वटवृक्ष को देव वृक्ष भी कहा जाता हैं । वट वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा,तने में विष्णु और शाखाओं में शिव का वास होता हैं। माता सावित्री भी इसमें निवास करती हैं । श्रीकृष्ण ने इसी वृक्ष के पत्ते पर मार्कंडेय ऋषि को दर्शन दिए थे। इस दिन महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए दान-पुण्य भी करेंगी।
—————
(Udaipur Kiran)
