Maharashtra

मासूम निर्धन बालक की टूटी हड्डी व कलाई की ठाणे सिविल अस्पताल में सफल सर्जरी

Broken bone surgery in Thane civil hospital

मुंबई,27 मार्च ( हि स.) । आज के हालात में आम आदमी के घर पर यदि कोई सदस्य चोटिल हो जाए तो प्रायवेट हॉस्पिटल के लाखों रुपए के बिल सोचकर ही कलेजा मुंह को आ जाता है। , जब यह चोट गंभीर हो जाती है, तो आम आदमी के पैरों तले रेत खिसक जाती है। ठाणे के पूर्वी भाग कोपरी में एक 13वर्ष का मासूम बालक पेड़ से गिर गया था। लेकिन ठाणे जिला सिविल अस्पताल में आने पर शल्य चिकित्सक डॉ पवार की देखरेख में उसकी दाहिनी कलाई और कोहनी जो कि टूट चुकी थी ठाणे सिविल अस्पताल में सफल सर्जरी के बाद गंभीर रूप से घायल एक लड़के के चेहरे पर मुस्कान आ गई है।

ठाणे पूर्व कोपरी का निवासी 13 यह किशोर बालक चार दिन पहले एक आम के पेड़ पर वह अपना संतुलन खो बैठा और पेड़ से नीचे गिर गया, उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं था। शरीर का वजन दाहिने हाथ पर पड़ा, जिससे कलाई और कोहनी में गंभीर चोटें आईं। ठाणे पूर्व के इस 13वर्ष के बालक को बहुत असहनीय पीड़ा हुई। चूंकि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय थी, इसलिए उस बालक को ठाणे सिविल अस्पताल डॉ कैलाश पवार की देखरेख मे , उन्हें सोमवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिला शल्य चिकित्सक डॉ. कैलाश पवार और अतिरिक्त जिला शल्य चिकित्सक डॉ. वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. धीरज महानगड़े के मार्गदर्शन में सर्जरी सफलतापूर्वक किए जाने की जानकारी दी। यह सर्जरी आर्थोपेडिक डॉ विलास साल्वे द्वारा सफलता पूर्वक दो घंटे में की गई।

अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि हाथ पर इतनी जोर से चोट लगी थी कि एक्स-रे में हाथ की दोनों हड्डियां टूटी हुई दिखीं। इसलिए, अस्पताल को जोखिम भरी सर्जरी करने में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा, तथा सहारे के लिए प्लेट भी लगाई। चूंकि यह बालक इतना छोटा था, इसलिए उसे अपने हाथ के दर्द को भी सहना पड़ा।

हालाँकि, अस्पताल की मेडिकल टीम ने हर संभव प्रयास किया और सर्जरी सफल रही।

इस बीच, चोटिल हुए बालक के परिवार ने सर्जरी के बाद अस्पताल सिविल सर्जन डॉ कैलाश पवार को बारम्बार धन्यवाद दिया है। दुर्घटना घटित सर्जरी के दौरान चिकित्सा अधिकारी डॉ. आदेश रंगारी, वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. विलास साल्वे, डॉ. अजीत भुसागरे, प्रख्यात डॉ. रूपाली यादव, मिलिंद दौंडेमामा, सिस्टर गायकर, भक्ति, ठाकरे मामा, मदन मामा ने अथक परिश्रम देकर योगदान दिया ।

उल्लेखनीय है कि इस बालक के हाथ की करीब दो घंटे तक सर्जरी चली। निजी अस्पताल में इस सर्जरी पर बहुत अधिक खर्च आता। परतु सिविल अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ हमेशा मरीजों के लिए देवदूत की तरह काम कर रहे हैं। अस्पताल को सर्जरी के लिए अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित किया गया है। इसलिए, अब निजी अस्पतालों में की जाने वाली जोखिम भरी सर्जरी अब सिविल अस्पतालों में की जाती है।

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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा

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