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जयपुर, 19 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । सी के बिरला हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने चिकित्सा जगत में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। डॉक्टर्स ने एक मूक बधिर मरीज की सफलतापूर्वक अवेक क्रैनियोटॉमी (होश में रहते हुए ब्रेन सर्जरी) कर ब्रेन ट्यूमर निकला। डॉक्टर्स का दावा है कि दुनिया में अब तक ऐसे केवल चार मामले ही दर्ज किए गए हैं, जहां मूक बधिर होने के बावजूद यह जटिल सर्जरी सफलतापूर्वक की गई हो। हॉस्पिटल के सीनियर न्यूरोसर्जन डॉ. अमित चक्रबर्ती, डॉ. संजीव सिंह ने यह केस किया। इस केस में सीनियर न्यूरो एनेस्थेटिस्ट डॉ. दीपक नंदवाना की विशेष भूमिका रही।
संवाद की चुनौती के बावजूद डॉक्टरों की शानदार उपलब्धि –
डॉ. अमित चक्रबर्ती एवं डॉ. दीपक नंदवाना ने बताया कि आमतौर पर अवेक क्रैनियोटॉमी उन मरीजों में की जाती है, जिनसे सर्जरी के दौरान बातचीत की जा सके ताकि डॉक्टर यह सुनिश्चित कर सकें कि मस्तिष्क के महत्वपूर्ण हिस्सों को कोई नुकसान न पहुंचे। लेकिन इस मरीज के लिए यह एक कठिन चुनौती थी, क्योंकि वह न तो सुन सकता था और न ही बोल सकता था। इसके बावजूद, चिकित्सकों ने सांकेतिक भाषा का उपयोग करके मरीज से संवाद किया, और ऑपरेशन के दौरान उसकी मोटर फंक्शन (हाथ-पैरों की ताकत) की जांच की।
संवेदनशील प्रक्रिया के दौरान बेहतरीन पेन मैनेजमेंट
इस सर्जरी के लिए डॉक्टरों ने कॉन्शियस सेडेशन तकनीक अपनाई, जिससे मरीज को बेहोश किए बिना उसका दर्द नियंत्रित किया गया। स्कैल्प ब्लॉक तकनीक से मरीज को सर्जरी के दौरान होने वाला दर्द मैनेज किया, और मरीज का रक्तचाप, हृदय गति, और ऑक्सीजन स्तर को स्थिर बनाए रखा गया। इसके अलावा, सर्जरी के दौरान मरीज को खांसी, मतली या उल्टी न हो, इसके लिए विशेष दवाएं दी गईं।
ऑपरेशन के तुरंत बाद मरीज को दिया गया पानी
डॉ. दीपक ने बताया कि हमारी टीम के लिए यह एक असाधारण क्षण था जब सर्जरी पूरी तरह सफल रही और बिना किसी जटिलता के समाप्त हुई। आमतौर पर, ब्रेन ट्यूमर सर्जरी के बाद मरीज को खाने-पीने में समय लगता है, लेकिन इस मरीज को सर्जरी के तुरंत बाद पानी पीने की अनुमति दी गई, जो चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।
डॉ. दीपक ने कहा कि इस चुनौतीपूर्ण सर्जरी को बेहतरीन तरीके से अंजाम दिया। यह उपलब्धि भारत के चिकित्सा क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर साबित हो सकती है। इस जटिल केस को न्यूरो एनेस्थेटिस्ट विशेषज्ञ के बिना किया जाना संभव नहीं था।
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(Udaipur Kiran)
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