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राहुल गांधी की नागरिकता रद्द करने की मांग; सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर अब 26 मार्च को सुनवाई

नई दिल्ली, 19 फरवरी (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाईकोर्ट में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता और भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि केंद्र सरकार ने राहुल गांधी को एक कारण बताओ नोटिस जारी कर उनकी ब्रिटिश नागरिकता के बारे में स्पष्टीकरण मांगा था लेकिन राहुल गांधी ने अभी तक उसका कोई जवाब नहीं दिया है। मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी।

सुनवाई के दौरान वहीं केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में मामला लंबित होने से इस कोर्ट का अधिकार क्षेत्र पर कोई रोक नहीं है। इस मामले में दोनों हाईकोर्ट में समानांतर कार्यवाही की जा सकती है।

बतादें कि 06 दिसंबर 2024 को सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले याचिकाकर्ता विग्नेश शिशिर पेश हुए थे और इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही कार्यवाही की प्रगति रिपोर्ट के बारे में बताया था। 06 नवंबर 2024 को सुनवाई के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका के रिकॉर्ड को पेश किया था। इसके पहले 20 अगस्त को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका को दूसरी बेंच में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। जस्टिस संजीव नरुला की बेंच ने कहा था कि याचिकाकर्ता ये बताने में नाकाम रहे कि इसमें कोई संवैधानिक अधिकार है। लेकिन याचिकाकर्ता का कहना है कि इसमें जनहित का मसला जुड़ा हुआ है। इसलिए इस याचिका पर जनहित याचिका पर सुनवाई करने वाली बेंच सुनवाई करेगी।

सुब्रमण्यम स्वामी ने खुद दलीलें रखते हुए कहा था कि उन्होंने 2019 में गृह मंत्रालय को लिखा था कि बैकओप्स लिमिटेड का रजिस्ट्रेशन ब्रिटेन में 2003 में हुआ था और राहुल गांधी उस कंपनी के निदेशकों में से एक थे। याचिका में कहा गया है कि कंपनी की ओर से 10 अक्टूबर 2005 और 31 अक्टूबर 2006 को भरे गए सालाना आयकर रिटर्न में कहा गया है कि राहुल गांधी की नागरिकता ब्रिटेन की है।

याचिका में कहा गया है कि कंपनी ने खुद को भंग करने के लिए 17 फरवरी 2009 को जो अर्जी दाखिल की थी उसमें भी राहुल गांधी की नागरिकता ब्रिटेन की बताई गई है। याचिका में कहा गया है कि ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 9 और भारतीय नागरिकता कानून का उल्लंघन है। अनुच्छेद 9 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति अगर स्वेच्छा से किसी दूसरे देश की नागरिकता लेता है तो वो भारत का नागरिक नहीं रह सकता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 29 अप्रैल 2019 को राहुल गांधी को पत्र लिखकर कहा था कि इस संबंध में दो हफ्ते के अंदर स्पष्टीकरण दें। लेकिन इसके पांच वर्ष से ज्यादा का समय बीतने के बावजूद कोई स्पष्टता नहीं है। ऐसे में कोर्ट गृह मंत्रालय को इस संबंध में फैसला लेने का दिशानिर्देश जारी करे।

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(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय

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