मंडी, 16 जनवरी (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर क्षेत्र के युवा साहित्यकार पवन चौहान के नाम इस वर्ष एक और उपलब्धि जुड़ गई है। इस बार पवन चौहान की पांच रचनाएं विभिन्न कक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल हुई हैं। ये रचनाएं सीबीएसई और आईसीएसई संबद्ध निजी विद्यालयों के पाठ्यक्रम में सत्र 2025-26 से पढ़ाई जाएंगी।
वीवा एडुकेशन की पाठ्यपुस्तक श्रृंखला परमिताइ के अंतर्गत इन्हें देशभर के विद्यार्थी पढेंग़े। कक्षा तीसरी में नाटक के रूप में ऐसे समझ आई बात चौथी कक्षा में संवाद के रूप में ज्वारी परंपरा, छठी में कविता के रूप में सुबह के मोती व लोक संस्कृति और आभूषण तथा सातवीं में फीचर के रूप में प्रकृति का खूबसूरत उपहार-बरोट नामक रचनाएं शामिल की गई हैं। यह पाठ्य पुस्तकें एन.ई.पी. 2020 तथा एन.सी.एफ . 2022-23 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप तैयार की गई हैं। इसमें ऐसे समझ आई बात नाटक के जरिए सफ ाई के महत्तव ज्वारी परंपरा मिलजुल कर कार्य करने, सुबह के मोती प्राकृतिक सौंदर्य, लोक संस्कृति और आभूषण जिला किन्नौर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर तथा प्रकृति का खूबसूरत उपहार-बरोट मंडी जिला के पर्यटन स्थल बरोट की खूबसूरती की बात को सुनाती है। गौरव की बात इन पुस्तकों में सुपरिचित साहित्यकारों सुब्रह्मण्य भारती, सर्वेश्वरदयाल सक्सेना, जयशंकर प्रसाद, सुभद्रा कुमारी चौहान, सुमित्रानंदन पंत, लियो तोल्सतोय, भगवतशरण उपाध्याय, रामधारी सिंह दिनकर, भारतेंदु हरिश्चंद्र, राम नरेश त्रिपाठी, बाबू गुलाबराय, बेढब बनारसी, सराह ओर्न जेवेट, श्रीप्रसाद, दिविक रमेश, सोहन लाल द्विवेदी, मंजरी शुक्ला, रोचिका शर्मा, गुरप्रीत शर्मा आदि की रचनाओं के साथ पवन चौहान को भी शामिल किया गया है।
पवन के अनुसार, जिन रचनाकारों को पढक़र हम बड़े हुए, उनके साथ अपनी रचना का प्रकाशन एक अनमोल खुशी और गौरव महसूस करवा रहा है। यह पाठ्यपुस्तकें नई दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बंगलुरु, कोचि, गुवहाटी आदि के विद्यार्थी पढ़ेंगे।
अन्य पाठ्यक्रम में रचनाएं
पवन चौहान कहानी, बाल कहानी, कविता, फीचर लेखन में निरंतर रच रहे हैं। हिमाचली बाल साहित्य में इनका कार्य उल्लेखनीय है। इनकी कहानी इससे पूर्व हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड, महाराष्ट्र के पाठ्यक्रम, वीवा एडुकेशन, न्यू सरस्वती हाउस व लीड के विभिन्न कक्षाओं के पाठयक्रम के साथ महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, केरल की बी. कॉम. तथा राष्ट्रसंत तुकाड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय, नागपुर के बी.ए. पाठ्यक्रम में यात्रा संस्मरण शामिल किया जा चुका है। पवन चौहान हिंदी के प्रवक्ता हैं और वर्तमान में सीसे स्यांजीए मंडी में कार्यरत हैं। पवन की अब तक भिन्न-भिन्न विषयों की नौ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला से पवन चौहान की बाल कहानियों का आलोचनात्मक विश्लेषण विषय पर लघु शोध भी हुआ है।
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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा