– ग्रे मार्केट प्राइस 32 प्रतिशत से गिरकर 5 प्रतिशत तक पहुंचा
नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । ऑनलाइन ऑर्डर लेकर फूड डिलीवरी करने वाली कंपनी स्विगी का मेगा आईपीओ लॉन्चिंग के पहले ही ग्रे मार्केट में जबरदस्त हलचल मचाता हुआ नजर आ रहा है। ग्रे मार्केट में इस शेयर के भाव में इतनी जोरदार गिरावट आई है, जिसके कारण आईपीओ लॉन्च होने के पहले ही इसके फ्लॉप होने की आशंका जताई जाने लगी है। 28 अक्टूबर को स्विगी के शेयर के लिए ग्रे मार्केट में 130 रुपये का प्रीमियम मिल रहा था, जो कल जबरदस्त गिरावट का शिकार होकर 14 रुपये के स्तर पर आ गया। हालांकि आज इसकी स्थिति में मामूली सुधार हुआ है। फिलहाल ये शेयर ग्रे मार्केट में 20 रुपये के प्रीमियर पर ट्रेड कर रहा है।
आपको बता दें कि स्विगी का आईपीओ 6 नवंबर से 8 नवंबर के बीच सब्सक्रिप्शन के लिए खुलने वाला है। कंपनी ने इस इश्यू के जरिए 11,300 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया है। इस पब्लिक इश्यू के लिए प्रति शेयर 371 से 390 रुपये का प्राइस बैंड तय किया गया है। एंकर इनवेस्टर्स के लिए ये इश्यू 5 नवंबर को खुलेगा। हुंडई मोटर के बाद स्विगी का आईपीओ इस साल देश का दूसरा सबसे बड़ा आईपीओ होने वाला है।
ग्रे मार्केट में 28 अक्टूबर को स्विगी के शेयर 130 रुपये यानी करीब 32 प्रतिशत के प्रीमियम पर ट्रेड कर रहे थे। 29 अक्टूबर को भी स्विगी का ग्रे मार्केट प्राइस लगभग इसी स्तर के आसपास बना रहा, लेकिन 30 अक्टूबर को इसका ग्रे मार्केट प्राइस जबरदस्त गिरावट के साथ 14 रुपये यानी 3.6 प्रतिशत के स्तर पर आ गया। हालांकि आज स्विगी के ग्रे मार्केट प्राइस में मामूली सुधार हुआ है। आज ये शेयर 20 रुपये यानी 5.12 प्रतिशत के प्रीमियर पर ट्रेड कर रहा है।
ग्रे मार्केट प्रीमियम में आई इस जोरदार गिरावट के कारण मार्केट एक्सपर्ट्स इस बात की आशंका भी जाता रहे हैं कि कहीं इसका हाल भी हुंडई मोटर के आईपीओ जैसा ही ना हो जाए। हुंडई मोटर ने भी ग्रे मार्केट में जोरदार शुरुआत की थी, लेकिन लिस्टिंग के पहले 3 दिन पहले ही उसके शेयर डिस्काउंट में ट्रेड होने लगे थे। बाद में जब हुंडई मोटर के शेयरों की लिस्टिंग हुई, तब भी आईपीओ निवेशकों को नुकसान का सामना करना पड़ा था। स्विगी ने भी 28 अक्टूबर को ग्रे मार्केट में शानदार मजबूती के साथ ट्रेड की शुरुआत की, लेकिन दो दिन बाद ही ये गिरावट का शिकार हो गया। अगर आईपीओ की लॉन्चिंग तक ग्रे मार्केट में इसकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो स्विगी का ये मेगा आईपीओ फ्लॉप होने के साथ ही निवेशकों के लिए नुकसान का सौदा भी साबित हो सकता है।
कंपनी द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार स्विगी के आईपीओ का 75 प्रतिशत हिस्सा क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (क्यूआईबी) के लिए सुरक्षित रखा गया है। इसके अलावा नॉन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (एनआईआई) के लिए 15 प्रतिशत और रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए 10 प्रतिशत हिस्सा आरक्षित किया गया है। 8 नवंबर को क्लोजिंग के बाद 11 नवंबर को शेयरों का अलॉटमेंट किया जाएगा, जबकि 13 नवंबर को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर इसकी एंट्री होगी। इस आईपीओ के तहत 4,499 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी किए जाएंगे। इसके अलावा 1 रुपये फेस वैल्यू वाले 17,50,87,863 शेयरों की ऑफर फॉर सेल विंडो के तहत बिक्री की जाएगी।
अगर कंपनी की वित्तीय स्थिति की बात करें तो 2023 की तुलना में 2024 में इसके घाटे में कमी आई है। 2023 में कंपनी को 4,179.3 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, जबकि 2024 में इसका नुकसान घट कर 2,350.2 करोड़ रुपये के स्तर पर आ गया। इस दौरान स्विगी का ऑपरेशनल रेवेन्यू 36 प्रतिशत बढ़ कर 11,247.4 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। हालांकि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में स्विगी का घाट सालाना आधार पर 564 करोड़ रुपये की तुलना में 611 करोड़ रुपये हो गया है। इस अवधि में कंपनी का ऑपरेशनल रेवेन्यू 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 3,222.2 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया है।
(Udaipur Kiran) / योगिता पाठक