शिमला, 28 मार्च (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में संगठित अपराध के खिलाफ अब कड़ा कानून लागू होने जा रहा है। राज्य विधानसभा ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा प्रस्तुत हिमाचल प्रदेश संगठित अपराध विधेयक को पारित कर दिया। इस नए कानून के तहत नशा तस्करी, अवैध खनन, मानव अंगों की तस्करी, मिलावटखोरी, साइबर अपराध, फिरौती और मैच फिक्सिंग जैसे अपराधों में संलिप्त दोषियों को आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा दी जा सकती है। अब यह विधेयक राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
दोषियों की संपत्ति जब्त होगी, 10 लाख तक जुर्माना
संशोधित विधेयक के अनुसार संगठित अपराध में लिप्त पाए जाने पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही, नशा तस्करों की अवैध रूप से अर्जित संपत्ति जब्त करने का भी प्रावधान किया गया है।
यदि कोई व्यक्ति संगठित अपराध को अंजाम देने के लिए किसी को उकसाता है, षड्यंत्र करता है या सहायता करता है, तो उसे कम से कम एक वर्ष की सजा और 5 लाख रुपये तक के जुर्माने का सामना करना पड़ेगा।
संगठित अपराध गिरोह के किसी भी सदस्य को एक वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा मिल सकती है। इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति अपराधियों को शरण देता है या उन्हें छिपाने में मदद करता है, तो उसे 6 महीने तक की सजा और 20 हजार से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना देना होगा। गैंग से कमीशन लेने वाले को एक साल की जेल और 2 लाख रुपये तक का जुर्माना देना होगा।
यदि कोई व्यक्ति नशीले पदार्थों का उत्पादन, बिक्री, खरीद या परिवहन करता है, तो उसे 2 वर्ष से लेकर 14 वर्ष तक की सजा हो सकती है। साथ ही, 20 हजार रुपये से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा।
सरकारी कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई
अगर कोई सरकारी कर्मचारी नशे के कारोबार में लिप्त पाया जाता है, तो उसे अन्य दोषियों की तुलना में डेढ़ गुना अधिक सजा और जुर्माना देना होगा। अगर कोई संगठित अपराधी चल या अचल संपत्ति पर अवैध कब्जा करता है और संतोषजनक जवाब नहीं दे पाता, तो उसे एक साल तक की जेल हो सकती है।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
