
पानीपत, 28 अप्रैल (Udaipur Kiran) । जिला उपायुक्त वीरेन्द्र कुमार दहिया ने सोमवार को बताया कि गेहूं की फसल कटाई के बाद खेतों में फसल अवशेष (फाने) जलाना न सिर्फ एक दंडनीय अपराध है, बल्कि पर्यावरण और जनस्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा है। फसल अवशेष जलाने की घटनाओं को रोकने व कार्रवाई करने के लिए प्रशासन द्वारा ब्लॉक स्तर पर टीमें गठित की गई हैं। इन टीमों द्वारा जिला में किसानों व आमजन को फसल अवशेष न जलाने के प्रति जागरूक किया जा रहा है व उसके भारी नुकसानों से अवगत भी करवाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इसके लिए विशेष निगरानी टीमें गठित की गई हैं जो खेतों पर निगाह रखे हुए हैं। कहीं भी फसल अवशेष जलाने की सूचना मिलते ही तुरंत कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि खेतों में अवशेष जलाना वायु गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करता है, जिससे सांस की बीमारियों का खतरा बढ़ता है। इसके अलावा इससे मिट्टी की जैविक संरचना नष्ट होती है, जिससे कृषि उत्पादकता पर भी विपरीत असर पड़ता है।
डीसी वीरेन्द्र कुमार दहिया ने कहा कि जिला प्रशासन ने किसानों से फसल अवशेष प्रबंधन के लिए वैज्ञानिक उपायों व यंत्रों का उपयोग करते हुए फसल अवशेष प्रबंधन करने का आह्वान किया है। उन्होंने ने कहा कि फसलों के अवशेष जलाने के मामलों में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, वायु (प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम, और आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।
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(Udaipur Kiran) / अनिल वर्मा
