Haryana

झज्जर:महिला मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष नीना राठी ने छोड़ी भाजपा

बहादुरगढ़ में हुई प्रेस वार्ता के दौरान भाजपा से अपने त्याग पत्र दिखाते डॉ. नीना और सतपाल राठी।

-समर्थकों के साथ सोमवार को कांग्रेस में होंगे शामिल

झज्जर, 22 सितंबर (Udaipur Kiran) । बहादुरगढ़ विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी की टिकट न मिलने से नाराज भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ.नीना राठी व उनके पति सतपाल राठी ने पार्टी छोड़ दी है। सतपाल राठी भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष थे।

भाजपा छोडऩे के बाद ने नेता दंपति सोमवार को कांग्रेस में शामिल होंगे। उन्होंने यह घोषणा रविवार को बहादुरगढ़ में हुई प्रेस वार्ता में दी। राठी दंपति ने पार्टी के राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़ पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि टिकट वितरण में धनखड़ की मनमानी की वजह से झज्जर जिला में भाजपा का बंटाधार होना तय हो गया है।

नीना सतपाल राठी के साथ भाजपा छोडऩे वालों में किसान मोर्चा के बहादुरगढ़ शहरी अटल मंडल अध्यक्ष अमित वत्स, कानोन्दा मंडल उपाध्यक्ष राहुल लडरावन ने भी अपना इस्तीफा दिया है। नीना राठी ने कहा पिछले करीब साढ़े चार साल से वह भाजपा में दिनरात कार्य करते हुए नारी शक्ति को साथ लेकर पार्टी संगठन को मजबूत करती रही।

विधानसभा चुनाव में बहादुरगढ़ से वह स्वयं टिकट की प्रबल दावेदार रही। मगर भाजपा के कुछ नेताओं ने अपने हितों को साधते हुए उनकी अनदेखी कर टिकट किसी दूसरे को दिला दी। उन्होंने पार्टी के हर उचित मंच पर अपनी बात रखी मगर सुनवाई नहीं हुई।

इस बात से आहत होकर उन्होंने अब भाजपा की प्राथमिक सदस्यता व पार्टी पद से त्यागपत्र दे दिया। राठी दंपती ने कहा कि भाजपा नेता ओमप्रकाश धनखड़ खुद को चुनाव की घोषणा होने के पहले से ही बादली से अपनी हार सुनिश्चित नजर आ रही है। इसलिए वह बहादुरगढ़ से चुनाव लडऩा चाहते थे। लेकिन पूर्व विधायक नरेश कौशिक के कड़े विरोध की वजह से वह पीछे हट गए।

बड़े भाई पूर्व विधायक नरेश कौशिक की टिकट कटवा दिनेश को दिलवाकर धनखड़ ने एक परिवार का प्रेम व भाईचारा भी खत्म कर दिया। सतपाल राठी ने बहादुरगढ़ की टिकट आवंटन में मोटा लेनदेेन होने के गंभीर आरोप भी लगाए। राठी दंपती ने कहा कि वे करीब 10 साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोटी की राष्ट्रवादी और हिन्दुत्ववादी सोच से प्रेरित होकर भाजपा में शामिल हुए थे। लेकिन पार्टी में सच्चे कार्यकर्ता की कोई कद्र नहीं है, इसलिए उन्हें भाजपा छोडक़र कांग्रेस में शामिल होने का फैसला लेना पड़ा। प्रेस वार्ता के मौके पर सतीश घई भी मौजूद रहे।

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(Udaipur Kiran) / शील भारद्वाज

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