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आरएमएल अस्पताल में स्टेट ऑफ आर्ट स्ट्रोक यूनिट की शुरुआत

आरएमएल के
आऱएमएल में हीट स्टोक केन्द्र की तस्वीर
आरएमएल अस्पताल में हीट स्ट्रोक केन्द्र के अंदर मौजूद सुविधाएं

नई दिल्ली, 1 मई (Udaipur Kiran) । दिल्ली-एनसीआर में मई और जून में भीषण गर्मी की शुरुआत होने के साथ ही हीट स्ट्रोक के मामले भी बढ़ने की संभावना है। इसको देखते हुए डॉ. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल ने गुरुवार को स्टेट ऑफ आर्ट हीट स्ट्रोक यूनिट की शुरुआत कर दी है। इसी के साथ आरएमएल अस्पताल हीट स्ट्रोक सेंटर शुरू करने वाला पहला अस्पताल बन गया है। इस केन्द्र में 50 किलोग्राम बर्फ से भरने की क्षमता रखने वाले दो बड़े टब, दो आईसीयू बेड शामिल है। इसके साथ उच्च क्षमता का रेफ्रिजरेटर भी लगाया गया है जिसमें एक समय में 200 से 250 किलो बर्फ जमाई जा सकती है। इसके अलावा दूर दराज में हीट स्ट्रोक के मरीजों के लिए अस्पताल ने हीट स्ट्रोक रेस्पांस यूनिट के तौर पर एसीएलएस एंबुलेंस सेवा भी शुरू की है जिसमें जिसमें कूलिंग ट्यूब, तारपोलिन और आईसबॉक्स, ओआरएस पैक, सहित स्ट्रोक के लिए जरूरी मेडिकल सहायता सामग्री रहेगी। लोग आरएमएल के 011 -23404446 फोन नंबर पर संपर्क कर एम्बुलेंस मंगवा सकते हैं।

अटल बिहारी बाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस के निदेशक और आरएमएल अस्पताल के निदेशक डॉ अजय शुक्ला ने गुरुवार को मीडिया को बताया कि हीट स्ट्रोक यूनिट सुविधा को गुरूवार से शुरू कर दिया गया है। इस केन्द्र में आधुनिक सुविधा के साथ मरीजों के लिए दो इमरर्जंन कूलिंग ट्यूब को रखा गया है, इसकी क्षमता 200 से 250 लीटर है। इसमें बर्फ के लिए उच्च क्षमता को रेफ्रिजरेटर भी लगाया गया है। जिसमें जरूरत के हिसाब से आईस को बनाया जा सकेगा। इसके साथ ही मल्टीपैरामीटर लाइफ सेविंग उपकरणों के साथ दो बेड लगाए गए है, जिसमें वेंटिलेटर की भी सुविधा है। इसके साथ ही अस्पताल ने प्री हॉस्पिटल सेवा के क्रम में हीट स्ट्रोक रेस्पांस यूनिट के तौर पर एसीएलएस एंबुलेंस सेवा भी शुरू की है। जिसमें कूलिंग ट्यूब, तारपोलिन और आईसबॉक्स, ओआरएस पैक, सहित स्ट्रोक के लिए जरूरत मेडिकल सहायता सामग्री रहेगी। डॉ. अजय शुक्ला ने बाताया कि केन्द्र के साथ दो मोबाइल एंबुलेंस की भी शुरुआत की गई है जो दूरदराज के इलाकों की सकरी गलियों में हीट स्ट्रोक के मरीजों का उपचार करेगी।

आरएमएल के इमरजेंसी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. अमलेंदु यादव ने बताया कि गंभीर तापघात की सूरत में एक- एक मिनट भी काफी अहम होता है। लोगों को इसका खास ख्याल रखना चाहिए कि वे बिना देरी के अस्पताल पहुंचे। गंभीर तापघात से पीड़ित मरीजों को ठंडे पानी के इन टबों में डुबोया जाता है, जिससे उनके शरीर का तापमान तेजी से कम हो जाए, जो घातक जटिलताओं को रोकने में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने बताया कि बढ़ती गर्मी में दोपहर के 12 बजे से 4 बजे तक घर से बाहर जाने से बचें। खूब पानी पीएं। गर्मी से जी घबराने लगे, चक्कर या फिर बेहोशी की हालत पैदा हो जाएं तो अस्पताल में जाएं।

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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी

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