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राज्य मंत्रिमंडल बैठक : आरजीएचएस का दायरा बढ़ा, कार्मिक को मिलेगा माता-पिता या सास-ससुर को सम्मिलित करने का विकल्प

राज्य मंत्रिमंडल बैठक

जयपुर, 28 अगस्त (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में बुधवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में आयोजित की गई राज्य मंत्रिमण्डल की बैठक में कर्मचारी कल्याण, कृषक हित, विद्युत तंत्र के सुदृढ़ीकरण, रेल परिवहन के विकास सहित कई महत्वपूर्ण फैसले किए गए। उप मुख्यमंत्री डॉ प्रेमचन्द बैरवा एवं संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए मंत्रिमंडल में लिए गए निर्णयों की जानकारी दी।

राजस्थान सिविल सेवा (चिकित्सा परिचर्या) नियम, 2013 में संशोधन

उप मुख्यमंत्री डॉ प्रेमचन्द बैरवा ने बताया कि राज्य कार्मिकों के हित में उनकी ग्रेच्युटी एवं डेथ ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये से बढ़ाते हुए 25 लाख करने को मंजूरी दी गई है। उन्होंने बताया कि अब पुरुष एवं महिला कार्मिकों को सीजीएचएस की तर्ज पर अब आरजीएचएस में भी चिकित्सा सुविधा के लिए माता-पिता या अपने सास-ससुर में से किसी एक को सम्मिलित करने का विकल्प मिलेगा, बशर्ते माता-पिता या सास-ससुर आश्रित होने के साथ पुरुष अथवा महिला कार्मिक के साथ निवास करते हों। इस संबंध में बजट वर्ष 2024-25 की घोषणा की क्रियान्विति करते हुए राजस्थान सिविल सेवा (चिकित्सा परिचर्या) नियम, 2013 के नियम 3(9) में संशोधन किया जाएगा।

केंद्रीय कार्मिकों की तर्ज पर 10 वर्षों तक बढ़ी हुई दर से पारिवारिक पेंशन का लाभ

डॉ बैरवा ने बताया कि कार्मिक की सेवा में रहते हुए मृत्यु होने पर अब आश्रित को केंद्रीय कार्मिकों की तरह ही 10 वर्षों तक बढ़ी हुई दर से पारिवारिक पेंशन का लाभ मिल सकेगा। इन प्रावधानों के लिए राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996 के नियम 55 एवं 62 में संशोधन की अधिसूचना 01 अप्रेल, 2024 से प्रभावी होगी। एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राजस्थान जिला न्यायालय लिपिक वर्गीय स्थापन नियम 1986 के नियम 14ए एवं 20 के उपनियम 4 और राजस्थान अधीनस्थ न्यायालय (चालक एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी) सेवा नियम, 2017 के नियम 18 के उपनियम 4 एवं नियम 30 में संशोधन का अनुमोदन किया गया है।

नाथद्वारा-देवगढ़-मदारिया रेल लाइन आमान परिवर्तन के लिए भूमि आवंटन

संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया कि प्रदेश के रेल परिवहन तंत्र को मजबूत करने तथा मार्बल, ग्रेनाइट और माइनिंग जैसे उद्योगों को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार के साथ मिलकर श्रीनाथद्वारा को मेवाड़ और मारवाड़ से जोड़ने वाली नई रेलवे लाइन के निर्माण में तेजी लाई जा रही है। उन्होंने बताया कि राजसमंद जिले के राजसमंद, देवगढ़, नाथद्वारा एवं आमेट उपखण्डों की कुल 42.1576 हैक्टेयर भूमि राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 102 के अंतर्गत नाथद्वारा-देवगढ़-मदारिया आमान परिवर्तन परियोजना के लिए रेलवे मंत्रालय को आवंटित करने की स्वीकृति मंत्रिमण्डल बैठक में प्रदान की गई।

7896 करोड़ रुपये की लागत से होंगे 11 केवी फीडर सेग्रेगेशन के कार्य

पटेल ने बताया कि मंत्रिमंडल की बैठक में रिवेम्प्ड डिस्ट्रिब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के अंतर्गत कृषि फीडर्स के 11 केवी फीडर पृथक्करण (सेग्रेगेशन) की क्रियान्विति को मंजूरी प्रदान की गई। इस योजना में लगभग 7 हजार 896 करोड़ रुपए की लागत से 11 केवी फीडर सेग्रेगेशन के 7522 कार्य करवाए जाएंगे, जिसके लिए आरईसी लिमिटेड की ओर से स्वीकृति एक अप्रैल, 2024 को प्राप्त हो चुकी है। उन्होंने बताया कि जिन 33/11 केवी सबस्टेशन पर 11 केवी फीडर सेग्रेगेशन का कार्य किया जाएगा, वहां नए सोलर पावर प्लांट लगाने, मीटरिंग, बिलिंग और राजस्व संग्रहण के कार्य को भी फीडर सेग्रेगेशन में ही जोड़ा गया है।

तीन हजार मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए भूमि आवंटन का अनुमोदन

पटेल ने बताया कि 3000 मेगावाट की 4 सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए राजस्थान भू-राजस्व (अक्षय ऊर्जा स्त्रोतों पर आधारित ऊर्जा उत्पादन इकाई की स्थापना हेतु भूमि आवंटन) नियम, 2007 के प्रावधानों एवं शर्तों के तहत भूमि आवंटन की स्वीकृतियां प्रदान की गई तथा बीकानेर की पूगल तहसील के ग्राम बरजू में 50.42 हैक्टेयर भूमि 765/400/220 केवी सबस्टेशन की स्थापना के लिए बीकानेर-3 नीमराना ट्रांसमिशन लिमिटेड को आवंटित करने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया है।

टेक्नोलॉजी सेंटर के लिए एमएसएमई मंत्रालय को आवंटित होगी भूमि

पटेल ने बताया कि प्रदेश में एमएसएमई उद्यमों के विकास के लिए भी सरकार प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है। इसी क्रम में केन्द्रीय एमएसएमई मंत्रालय को जयपुर में टेक्नोलॉजी सेंटर की स्थापना के लिए जेडीए की दहमीकलां संस्थानिक योजना में 12 एकड़ भूमि निःशुल्क आवंटित किए जाने की स्वीकृति प्रदान की गई है। इससे युवाओं को एमएसएमई सेक्टर से जुड़ी उन्नत तकनीक का प्रशिक्षण प्राप्त हो सकेगा और उनमें कौशल एवं दक्षता का विकास होगा।

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(Udaipur Kiran)

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