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कृषि भूमि के भविष्य में कामर्शियल मूल्य होने पर स्टैम्प की वसूली कार्यवाही रद्द

इलाहाबाद हाईकोर्ट

-कोर्ट ने जमा की गई राशि एक माह में मय ब्याज वापसी का निर्देश दिया

प्रयागराज, 12 सितम्बर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि कृषि व रिहायशी भूमि के बैनामे पर भविष्य में कामर्शियल भूमि होने की सम्भावना के आधार पर स्टैम्प वसूली कार्यवाही नहीं की जा सकती।

कोर्ट ने बकाया स्टैम्प पेनाल्टी व ब्याज की वसूली आदेश को रद्द कर दिया है और एक माह में चार फीसदी ब्याज सहित जमा राशि वापस करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने अलीगढ़ के निवासी अनुपम वार्ष्णेय व 4 अन्य की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया है।

याचिका में कहा गया था कि याचियों ने जिलाधिकारी अलीगढ़ द्वारा निर्धारित सर्किल दर पर स्टैम्प शुल्क देकर कृषि व रिहायशी जमीन का बैनामा कराया। निरीक्षण रिपोर्ट पर याची को स्टैम्प कम जमा करने की नोटिस दी गई। इस पर याची ने आपत्ति की कि उसकी गैरमौजूदगी में निरीक्षण किया गया है। जमीन क़ृषि भूमि है। नियमानुसार स्टैम्प जमा किया गया है। मौके का मुआयना कर रिपोर्ट दी जाय। किंतु इसे न मानते हुए याचियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। जिसके खिलाफ अपील में आधार लिया गया कि नियम 7(3)(सी) का पालन नहीं किया गया है। फिर भी बिना विचारे अपील खारिज कर दी गई। जिस पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई।

कोर्ट ने कहा कि नियम का पालन न करने के मुद्दे पर अपीलीय अधिकारी ने कोई निष्कर्ष नहीं दिया है। हालांकि सरकारी वकील का तर्क था कि जमीन का मूल्याकंन कामर्शियल है। इसलिए कार्यवाही सही है। कोर्ट ने तर्क को सही नहीं माना और आदेश को कानून के विपरीत मानते हुए रद्द कर दिया।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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