
कोलकाता, 31 मई (Udaipur Kiran) ।शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) ने इस बार दस्तावेज़ सत्यापन को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरती है। आयोग ने निर्णय लिया है कि आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों के दस्तावेज़ों की जांच तीन अलग-अलग चरणों में की जाएगी ताकि फर्जी प्रमाणपत्रों का समय रहते पता लगाया जा सके।
आयोग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, दस्तावेज़ों का पहला सत्यापन ऑनलाइन आवेदन के दौरान किया जाएगा। दूसरा चरण इंटरव्यू के समय होगा और तीसरा और अंतिम चरण काउंसलिंग के समय तय किया गया है। इन तीन स्तरों की जांच के ज़रिए आयोग को उम्मीद है कि किसी भी फर्जी जाति प्रमाणपत्र या शैक्षणिक दस्तावेज़ के आधार पर आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों की पहचान की जा सकेगी।
एसएससी अधिकारियों के अनुसार, इस प्रक्रिया का एक अन्य उद्देश्य यह भी है कि आयोग की ओर से दस्तावेज़ों के संबंध में कोई गलती या चूक न हो। विशेष सतर्कता फर्जी ‘जाति प्रमाणपत्रों’ को लेकर बरती जा रही है, जो पिछली नियुक्तियों में विवाद का कारण बने थे।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में आयोग ने नई नियमावली अधिसूचना के माध्यम से जारी की है, जिसमें कई अहम बदलाव किए गए हैं।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि एक जनवरी 2025 की गणना के अनुसार 40 वर्ष तक की आयु वाले अभ्यर्थी आवेदन करने के पात्र होंगे। वहीं अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को राज्य सरकार के नियमों के अनुसार आयु सीमा में छूट मिलेगी।
नई अधिसूचना में यह भी उल्लेख है कि चयनित पैनल और प्रतीक्षा सूची की वैधता पहले काउंसलिंग के एक वर्ष बाद तक रहेगी, जिसे सरकार की अनुमति से छह माह तक बढ़ाया जा सकेगा। इसके अलावा, पैनल की अवधि समाप्त होने के बाद लिखित परीक्षा की ओएमआर शीट दो वर्षों तक सुरक्षित रखी जाएंगी, और स्कैन की गई प्रति को दस वर्षों तक संधारित किया जाएगा।
इन कड़े नियमों और बहु-स्तरीय सत्यापन प्रक्रिया के ज़रिए आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष, पारदर्शी और फर्जीवाड़े से मुक्त हो।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
