Jammu & Kashmir

जम्मू में 23 नवंबर शनिवार को मनाई जा रही है श्रीकालभैरवाष्टमी

Rohit

जम्मू, 20 नवंबर (Udaipur Kiran) । श्रीकाल भैरवाष्टमी सन् 2024 ई. यानी इस वर्ष 23 नवंबर शनिवार को है इस संदर्भ में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन भगवान शिव, भैरव रूप में प्रकट हुए थे। भैरव अष्टमी तंत्र साधना के लिए अति उत्तम मानी जाती है। भैरव भगवान महादेव का अत्यंत ही रौद्र, भयाक्रांत, वीभत्स, विकराल प्रचंड स्वरूप है। भैरवजी को काशी का कोतवाल भी माना जाता है। श्रीकालभैरव जी के पूजन से अनिष्ट का निवारण होता है। उनकी प्रिय वस्तुओं में काले तिल, उड़द,नींबू, नारियल, अकौआ के पुष्प, कड़वा तेल, सुगंधित धूप, जलेबी, पुए, कड़वे तेल से बने पकवान दान किए जा सकते हैं। भैरव अष्‍टमी के दिन भैरवजी के वाहन श्वान (कुत्ते) को भोजन और गुड़ खिलाने का विशेष महत्व है। दसों दिशाओं के नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति मिलती है तथा संतान की प्राप्ति होती है

श्रीभैरव जी के पूजन से मनोवांछित फल देने वाली होती है। यह दिन साधक भैरव जी की पूजा अर्चना करके तंत्र-मंत्र की विद्याओं को पाने में समर्थ होता है। मान्यता अनुसार इस दिन कालभैरव जी की पूजा व व्रत करने से समस्त विघ्न समाप्त हो जाते हैं और भूत, पिशाच एवं काल भी दूर रहता है।

महंत रोहित शास्त्री ने बताया श्रीकालभैरव उपासना क्रूर ग्रहों के प्रभाव को समाप्त करती है, भैरव देव जी के राजस, तामस एवं सात्विक तीनों प्रकार के साधना तंत्र प्राप्त होते हैं। भैरव साधना स्तंभन, वशीकरण, उच्चाटन और सम्मोहन जैसी तांत्रिक क्रियाओं के दुष्प्रभाव को नष्ट करने के लिए कि जाती है, इनकी साधना करने से सभी प्रकार की तांत्रिक क्रियाओं के प्रभाव नष्ट हो जाते हैं, इन्हीं से भय का नाश होता है और इन्हीं में त्रिशक्ति समाहित हैं, हिंदू देवताओं में भैरव जी का बहुत ही महत्व है यह दिशाओं के रक्षक और काशी के संरक्षक कहे जाते हैं। कहते हैं कि भगवान शिव से ही भैरव जी की उत्पत्ति हुई। यह कई रुपों में विराजमान हैं। बटुक भैरव और काल भैरव यही हैं, इन्हें रुद्र भैरव, क्रोध भैरव, उन्मत्त भैरव, कपाली भैरव, भीषण भैरव, असितांग भैरव, चंड भैरव, रुरु भैरव, संहार भैरव और भैरवनाथ भी कहा जाता है।

नाथ सम्प्रदाय में इनकी पूजा का विशेष महत्व रहा है, भैरव आराधना से शत्रु से मुक्ति, संकट, कोर्ट-कचहरी के मुकदमों में विजय प्राप्त होती है। व्यक्ति में साहस का संचार होता है, इनकी आराधना से ही शनि का प्रकोप शांत होता है। रविवार और मंगलवार के दिन इनकी पूजा बहुत फलदायी है।

(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा

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