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श्री काशी विश्वनाथ धाम में श्रीलंकाई सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने लगाई हाजिरी

बाबा के दरबार में श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश
बाबा के दरबार में श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश

-रंगभरी एकादशी उत्सव में शामिल हुए, महादेव एवं माता गौरा की चल रजत प्रतिमा पर पुष्प, हल्दी और अबीर-गुलाल अर्पित किया

वाराणसी, 09 मार्च (Udaipur Kiran) । श्री काशी विश्वनाथ दरबार में रविवार शाम को श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एस. थुरईराजा एवं उनकी धर्मपत्नी शशिकला थुरईराजा ने हाजिरी लगाई। दरबार में विधि विधान से मंत्रोंच्चार के बीच दर्शन के बाद न्यायाधीश ने धाम में आयोजित काशीपुराधिपति के गौना उत्सव (रंगभरी एकादशी) में भी पूरे उत्साह और अगाध भक्ति भाव से भागीदारी की।

न्यायाधीश दंपति ने श्री काशी विश्वनाथ महादेव एवं माता गौरा की चल रजत प्रतिमा पर पुष्प, हल्दी, अबीर-गुलाल अर्पित किया। यह दृश्य श्रद्धा और भक्ति से भरा हुआ था, जिसमें काशीवासियों के साथ-साथ विदेशी मेहमान भी इस परम आनंद का अनुभव कर रहे थे। उनके इस पवित्र आयोजन में भाग लेने से श्री काशी विश्वनाथ धाम में आए भक्त भी आहलादित दिखे। इस दौरान न्यायाधीश दंपति ने भावुक होकर कहा कि श्री काशी विश्वनाथ महादेव के दर्शन ने उन्हें अलौकिक सुख का अनुभव कराया। उनका कहना था कि यह पवित्र स्थल उन्हें आत्मिक शांति का अहसास दिलाता है, और यह अनुभव उनके जीवन में सदैव अमिट रहेगा।

सांस्कृतिक संध्या का किया शुभारंभ

काशी विश्वनाथ धाम में शाम को आयोजित सांस्कृतिक संध्या के दौरान जस्टिस एस थुरईराजा और उनकी धर्मपत्नी ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने उन कलाकारों को सम्मानित किया जिन्होंने श्री काशी विश्वनाथ महादेव और माता गौरा को अपने सुर-ताल से भावांजलि अर्पित की। इसके पहले मंदिर न्यास की ओर से मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण एवं डिप्टी कलेक्टर शंभू शरण ने श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एवं उनकी धर्मपत्नी का धाम में स्वागत किया गया। मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बताया कि जस्टिस एस थुरईराजा की जड़ें भारत से जुड़ी हैं। उनके पूर्वज भारत से थे। जस्टिस श्री थुरईराजा श्रीलंका के लगभग 200 वर्षों के इतिहास में सुप्रीम कोर्ट के पहले ऐसे न्यायाधीश हैं, जिनके पूर्वजों का संबंध भारत से रहा है।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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