
हरिद्वार, 13 मई (Udaipur Kiran) । राष्ट्र जब किसी संकट से जूझ रहा हो, तब केवल सैनिक, नीति-निर्माता, सुरक्षा एजेंसियां ही नहीं, बल्कि समाज का हर जागरूक नागरिक भी अपने-अपने स्तर से योगदान देता है। इसी भावना के साथ अखिल विश्व गायत्री परिवार ने गृहे-गृहे गायत्री यज्ञ और नादयोग साधना के माध्यम से एक राष्ट्रव्यापी आध्यात्मिक अभियान प्रारंभ किया है।
अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुखद्वय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं शैलदीदी ने करोड़ों गायत्री परिजनों को संबोधित करते हुए एक प्रेरणादायक पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि जब तक आतंकी शक्तियों का अंत नहीं होता, तब तक यह अनुष्ठान करोड़ों गायत्री साधकों द्वारा लगातार जारी रहेगा। यह न केवल एक साधना है, बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा व शांति हेतु एक आध्यात्मिक ब्रह्मास्त्र समान भी है।
संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने कहा कि यह अभियान बुद्ध पूर्णिमा से प्रांरभ हो गया है। इस अभियान के अंतर्गत शांतिकुंज सहित विश्व भर के प्रज्ञा संस्थानों में नित्य होने वाली नादयोग साधना (सायं 6 से 6.15 बजे) की अवधि को बढ़ाकर आधा घंटा कर दी गई है। इसमें शांतिकुंज कार्यकर्ता, प्रशिक्षणार्थी सामूहिक स्थान पर साधना में प्रतिभाग करेंगे। साधना की एकाग्रता बनाए रखने हेतु साधना काल के दौरान शांतिकुंज के सभी प्रवेश द्वार भी आवागमन के लिए बंद रखे जाएंगे।
उन्होंने बताया कि इससे लोगों की मानसिक शक्ति, आंतरिक शांति और सामाजिक एकजुटता को और अधिक बल मिल सके, इस भाव से प्रार्थना की जायेगी। वहीं करोड़ों गायत्री परिजनों के घरों में भी गायत्री यज्ञ के माध्यम से राष्ट्र की सुरक्षा व शांति हेतु आध्यात्मिक उपाय किया जा रहा है, ताकि भारत के नीति निर्माता, सेना के जवानों व सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े लोग सकारात्मक ऊर्जा से ओतप्रोत हो सकें और राष्ट्रहित की रक्षा में समुचित कार्यवाही करने में समर्थ बन सकें। शांतिकुंज व्यवस्थापक योगेन्द्र गिरी ने कहा भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिकता केवल आत्मकल्याण का साधन नहीं, बल्कि राष्ट्र की रक्षा और जागरण का भी एक सशक्त माध्यम है।
(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
