Uttrakhand

गीता जयंती पर ब्रह्माकुमारीज का आध्यात्मिक संदेश! विकारी मानसिकताओं से संघर्ष गीता का असली युद्ध

कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए

हरिद्वार, 12 दिसंबर (Udaipur Kiran) । ब्रह्माकुमारीज के रुड़की सेवा केंद्र पर गीता जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित आध्यात्मिक कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारीज बहन राजयोगिनी गीता दीदी ने ईश्वर जैसा नाम नहीं, गीता जैसा ज्ञान नहीं का संदेश दिया। वहीं शंकर मठ आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी दिनेशानंद भारती महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता वास्तव में धृतराष्ट्र रूपी अंधकार से श्रीभगवान उवाच रूपी प्रकाश तक पहुंचने की गाथा है।

उन्होंने ब्रह्माकुमारीज के चरित्र निर्माण अभियान की प्रशंसा करते हुए कहा कि यहां आने वाले भाई बहनों के तेज व सद्व्यवहार से ऐसा झलकता है कि वे ब्रह्माकुमारीज संस्था से जुड़े हैं और स्वयं को इंसान से देवता बनाने के लिए राजयोग का अभ्यास कर रहे है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता जीवन के सद्व्यवहार का महान ग्रन्थ है, जिसे हम सभी को अपनाना चाहिए, क्योंकि यह महान ग्रन्थ जीवन जीने की कला सीखाता है।

राजयोगिनी बीके गीता ने श्रीमद्भागवत गीता को लोकोपयोगी बताया व कहा कि संदर्भित युद्ध अपनों ने अपनों के विरूद्ध नहीं किया, बल्कि अपने अंदर छिपे विकारों के विरुद्ध लडा गया था यानि हमारे अंदर जो दुर्योधन, दुशासन रूपी काम, क्रोध, अहंकार, मोह, लोभ छिपे हैं, उनका खात्मा करने और हमें मानव से देवता बनाने के लिए गीता रूपी ज्ञान स्वयं परमात्मा ने दिया है। बीके गीता ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता मात्र परमात्मा का उपदेश नहीं है, अपितु यह जीवन पद्धति का सार भी है। यह जीवन जीने की अदभुत कला का सूत्र भी है, गीता के अठारह अध्यायों में ज्ञान योग, कर्म योग, भक्ति योग का समावेश है।

(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

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