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–कोर्ट उठने तक के लिए हिरासत में लिए गए, दो हज़ार जुर्माना लगा –कोर्ट आदेश के बावजूद शिक्षिका को नहीं किया भुगतान
प्रयागराज, 20 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विशेष सचिव समाज कल्याण विभाग लखनऊ रजनीश चंद्रा को अदालत के आदेश की अवमानना में सजा सुना दी है। कोर्ट ने उनको अदालत उठने तक हिरासत में रहने तथा 2 हज़ार रूपये जुर्माना भरने का आदेश दिया। अदालत का आदेश होते ही विशेष सचिव तत्काल हिरासत में ले लिए गए और अदालत के उठने तक वह हिरासत में रहे।
सजा का आदेश फतेहपुर की सहायक अध्यापिका सुमन देवी की अवमानना याचिका पर न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने दिया। मामले के अनुसार याची सुमन देवी फतेहपुर के डॉक्टर बी आर अंबेडकर शिक्षा सदन में सहायक अध्यापिका थी। यह विद्यालय समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित है। याची ने अप्रैल 2022 को अवकाश प्राप्त किया तथा बीच सत्र में सेवानिवृति होने के कारण उसने नियमानुसार सत्र लाभ देने हेतु आवेदन किया। विभाग में उसका आवेदन स्वीकार नहीं किया तो उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।
कोर्ट में याचिका लम्बित रहने के दौरान ही विभाग ने उसे सत्र लाभ दे दिया तथा विद्यालय में ज्वाइन करने का निर्देश दिया गया। याची ने 21 जनवरी 2023 को ज्वाइन कर लिया। मगर उसे अप्रैल 2022 से 21 जनवरी 2023 तक के वेतन का भुगतान नहीं किया गया। विभाग का कहना था की चूंकि इस दौरान उसने काम नहीं किया है, इसलिए वेतन की हकदार नहीं है। इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।
याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि इसी प्रकार का विवाद इस हाईकोर्ट द्वारा अंगद यादव केस में निर्णीत किया जा चुका है। जिसमें हाईकोर्ट ने कहा है कि विभागीय गलती से यदि याची को ज्वाइन नहीं कराया गया है तो नो वर्क नो पे का सिद्धांत लागू नहीं होगा। कोर्ट ने याचिका मंजूर करते हुए याची को 1 अप्रैल 2022 से 21 जनवरी 2023 तक के वेतन भुगतान करने का आदेश दिया।
कोर्ट के इस आदेश के बावजूद विशेष सचिव रजनीश चंद्रा ने आदेश पारित करते हुए कहा कि क्योंकि याची ने इस दौरान कोई काम नहीं किया है, इसलिए उसे वेतन नहीं दिया जा सकता है। इस आदेश के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की गई। कोर्ट ने इसे अदालत के आदेश की स्पष्ट अवमानना मानते हुए विशेष सचिव रजनीश चंद्रा तथा जिला समाज कल्याण अधिकारी फतेहपुर और जिला पिछड़ा वर्ग समाज कल्याण अधिकारी प्रसून राय को तलब किया। रजनीश चंद्रा और प्रसून राय के खिलाफ अदालत ने अवमानना का केस निर्मित किया और उनका स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया।
रजनीश चंद्रा ने अपने हलफनामा में माफी मांगते हुए बताया कि कोर्ट के आदेश का पालन कर दिया गया है। याची को बकाया वेतन का भुगतान कर दिया गया है। कोर्ट स्पष्टीकरण से सहमत नहीं थी, इसलिए उसने रजनीश चंद्र को अदालत उठने तक हिरासत में रहने की सजा और 2 हज़ार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जबकि प्रसून राय को अवमानना के आरोप से बरी कर दिया है।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
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