शिमला, 15 मई (Udaipur Kiran) । प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए किसानों के पंजीकरण के लिए एक माह का विशेष अभियान शुरू कर दिया है। यह अभियान 15 जून 2025 तक चलेगा। सरकार की इस पहल का उद्देश्य प्रदेश में अधिक से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर प्रेरित कर उनकी आय बढ़ाना है।
सरकारी प्रवक्ता ने बुधवार को बताया कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के निर्देशानुसार यह अभियान मिशन मोड में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में चलाया जा रहा है। इसके तहत कृषि विभाग शिविर लगाकर किसानों का पंजीकरण करेगा और खंड स्तर के अधिकारी किसानों को हर संभव सहायता देंगे।
प्रवक्ता ने बताया कि सरकार ने प्राकृतिक रूप से उगाई गई फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय किया है, जो देशभर में सबसे अधिक है। प्राकृतिक गेहूं के एमएसपी को 40 रुपये से बढ़ाकर 60 रुपये प्रति किलोग्राम और मक्की के एमएसपी को 30 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया गया है। इसी तरह, कच्ची हल्दी के लिए 90 रुपये प्रति किलोग्राम और चंबा जिले के पांगी क्षेत्र में उगाई गई जौ के लिए 60 रुपये प्रति किलोग्राम का एमएसपी तय किया गया है।
मुख्यमंत्री सुक्खू की इस अभिनव पहल का मकसद ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करना और किसानों को उनके प्राकृतिक कृषि उत्पादों का उचित मूल्य दिलाना है। सरकार का मानना है कि रासायनिक मुक्त खेती से जहां मिट्टी और पर्यावरण को लाभ होगा, वहीं उपभोक्ताओं को भी गुणवत्तापूर्ण उत्पाद मिलेंगे।
प्रवक्ता ने यह भी जानकारी दी कि पशुपालकों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार गाय के दूध की खरीद 51 रुपये प्रति लीटर और भैंस के दूध की खरीद 61 रुपये प्रति लीटर की दर से कर रही है। यह एमएसपी दरें भी देश में सबसे अधिक मानी जा रही हैं।
सरकार का कहना है कि प्राकृतिक खेती और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने से न केवल किसानों और पशुपालकों की आर्थिकी मजबूत होगी, बल्कि प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा मिलेगी।
—————
(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
