Madhya Pradesh

भगवान श्री पशुपतिनाथ महादेव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा दिवस पर विशेष

भगवान श्री पशुपतिनाथ महादेव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा दिवस पर विशेष

मंदसौर, 19 नवंबर (Udaipur Kiran) । बुधवार को भूतभावन भगवान श्री पशुपतिनाथ महादेव मंदिर का भव्य 64वां प्रतिष्ठा महोत्सव भव्य रूप से मनाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि मार्गशीर्ष कृष्ण पंचमी को भगवान श्री पशुपतिनाथ की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। इस कारण हर वर्ष इस तिथि पर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव मनाया जाता है।

भगवान पशुपतिनाथ महादेव की अष्टमुखी प्रतिमा का जेठ सुदी 5 संवत 1997 (10 जून सोमवार सन 1940 )में शिवना नदी से प्रादुर्भाव हुआ जिसके सर्वप्रथम दर्शन उदाजी धोबी को हुए जिसकी सूचना उदाजी ने बाबू श्री शिवदर्शन लाल जी को दी,बाबू जी ने अपने साथियों के साथ प्रतिमा को देखा तथा बाबू श्री शिवदर्शन लाल जी अग्रवाल (पूर्व विधायक) ने अपने साथियों के साथ प्रतिमा को शिवना नदी से निकलवा कर अपने खेत में रखवाया तथा 21 वर्षों तक प्रतिमा का संरक्षण किया ,सन् 1961 में मार्गशीर्ष कृष्ण पंचमी पूज्यपाद स्वामी श्री प्रत्यक्षानंद जी महाराज के कर कमलो द्वारा भगवान पशुपतिनाथ महादेव का नामकरण एवं स्थापना की गई,आज भूत भावन भगवान पशुपतिनाथ जी महादेव की प्रतिष्ठा का 64 वा वर्ष है।

अष्टमुखी शिव प्रतिमा गोंदीघाट के निकट पुराने किल के हिस्से को स्पर्श करते हुए शिवना तट से प्राप्त हुई। इस प्रतिमा की प्राप्ति तथा वर्षों तक संरक्षण व सौन्दर्यीकरण का कार्य मंदसौर की ही एक विभूति हिन्दु महासभा के सक्रिय कार्यकर्ता व नगर वयोवृद्ध सनातनधर्मी बाबू श्री शिवदर्शन लाल अग्रवाल ने किया।

प्रतिमा इक्कीस वर्षों तक प्रतिमा बाबूजी के खेत में ही रही। कई बार इस की स्थापना के प्रयास किये गये। उस समय पशुपतिनाथ नामकरण नहीं हुआ था। एक पूज्य शिवलिंग के रूप में इसकी स्थिती थी। इसकी पूजा अर्चना की जाती थी ।

अंत में 1961 सोमवार को वह क्षण अया जब पुष्य नक्षत्र की मंगल बेला में श्री महादेव घाट परिसर में पूज्य स्वामी श्री प्रत्यक्षानन्दजी महाराज के कर कमलों से चबूतरे पर इस अष्टमुखी शिवलिंग की स्थापना वैदिक विधी विधान के साथ मंत्रोचार के बीच सम्पन्न हो गई। म.प्र. के योजना तथा सूचना उपमंत्री श्री सीताराम जाजू का इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सप्तनीक आगमन हुआ। दिनांक 26 जनवरी 1968 को मंदिर के शिखर पर स्वर्ण कलश मंडित किया गया, जिसका अनावरण राजमाता श्रीमती विजयाराजे सिंधीया ने किया। इस शुभ प्रसंग पर भव्य समारोह हुआ। कार्यक्रम को महामण्डलेश्वर स्वामी श्री सत्यमित्रानन्दगिरीजी महाराज तथा स्वामी श्री प्रत्यक्षानन्दजी महाराज स्वयं की उपस्थिति से आशिर्वाद प्राप्त हुआ। कलश के गोलम्बोर पर श्री पशुपतिनाथ के चार मुख तथा कमल अंकित हैं। कमल पर कलश स्थित हैं कलश का कुल वजन एक क्विंटल है। इस पर 51 तोला सोना चढ़ा हुआ है। त्रिशुल पर दस तोला सोना मंडित किया हुआ है।

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(Udaipur Kiran) / अशोक झलोया

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