Madhya Pradesh

महिला दिवस पर विशेष : निर्मला देवी ने महिला के साहस, समर्पण व प्रेरणा की मिसाल पेश की

महिला दिवस पर विशेष :- मंदसौर की निर्मला देवी ने महिला के साहस, समर्पण व प्रेरणा की मिसाल पेश की

मंदसौर, 7 मार्च (Udaipur Kiran) । मंदसौर जिले की रहने वाली निर्मला देवी ने महिला के साहस, समर्पण व प्रेरणा की मिसाल पेश की है। निर्मला देवी मुक्तिधाम में अब तक हजारों अंतिम संस्कार करवा चुकी है। नारी तू नारायणी, शास्त्रों में उल्लिखित इन शब्दों को मंदसौर शहर की महिला अपने साहस, समर्पण व प्रेरणा से चरितार्थ कर रही है।

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर हम आपको ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे है।जिन्होंने ओरो के लिए भी एक मिसाल कायम की है। निर्मला देवी नाम की महिला जो निस्वार्थ भाव से करीब 15 साल से अधिक मुक्तिधाम में अपनी सेवाए दे रही है। एक और कई जगह महिलाएं अंतिम संस्कार में जाती तक नहीं है। वही शहर की निर्मला देवी करीब 15 सालों से अधिक सालों से मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार करवा रही है। अंतिम क्रिया के लिए लकड़ी जमाना, राख समेटना सहित अन्य कार्य इनका नियमित काम है।

निर्मला देवी मुक्तिधाम में हजारों अंतिम संस्कार करवा चुकी है, कोरोना काल के समय भी निर्मला देवी अपनी जान की परवाह न करते हुए, बड़ी संख्या में शव को जलने की व्यवस्था को देखा। मंदसौर के गौरव दिवस पर मंदसौर के गौरव से सम्मानित किया गया है। इनके दो बेटों में से एक की कोरोना में व दूसरे की करीब डेढ़ साल पहले मृत्यु हो चुकी है। ये श्मशान घाट में सेवाएं दे रही है। पूर्व में कार्यरत व्यक्ति के साथ वे यहा काम करने लगी और ऐसे करते करते यही कार्यरत रही। 15-16 सालों से समाजसेवा कर रही है।

निर्मला देवी मंदसौर के मुक्ति धाम में कई समय से अपनी सेवाए निस्वार्थ भाव से दे रही है और इनके इस सेवा भाव के लिए और इनके काम के प्रति निष्ठा एवं सेवाभाव हेतु इन्हें मंदसौर के गौरव दिवस पर सम्मानित भी किया गया। 8 मार्च को महिला दिवस के दिवस के अवसर पर भी सम्मानित किया जावेगा। विभिन्न व्यवसायों में विभिन्न क्षेत्र में महिलाओ द्वारा विभिन प्रकार से योगदान किया जाता है परंतु निर्मला देवी के योगदान और सेवा सबसे अलग है। मुक्तिधाम जैसी जगह पर इन्होंने निस्वार्थ भावनाओं से विगत कई वर्षों से ये कार्य कर रही है। और समाज के प्रति अपना योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण तरीके से दे रही है।

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(Udaipur Kiran) / अशोक झलोया

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