-रोमांचक अनुभव के साथ 51वीं राष्ट्रीय
बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी का समापन
सोनीपत, 30 दिसंबर (Udaipur Kiran) ।
सोनीपत में आयोजित 51वीं राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी ने देशभर के बच्चों के
लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनकर विज्ञान और नवाचार की नई ऊंचाइयों की ओर कदम बढ़ाया। इस
कार्यक्रम में कश्मीर से कन्याकुमारी और लद्दाख से अंडमान तक के 400 बाल वैज्ञानिकों
ने
हरियाणा
के स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव एवं आयुक्त पंकज अग्रवाल ने कहा कि यह प्रदर्शनी भावी
वैज्ञानिकों के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने बताया कि 30,000 से
अधिक बच्चों ने इन मॉडलों को देखा और सराहा, जिससे विज्ञान के प्रति उनका उत्साह और
बढ़ा।
हरियाणा
खेल विश्वविद्यालय के कुलपति अशोक कुमार ने साइबर खतरों से बचाव, डेटा गोपनीयता, और
डिजिटल सुरक्षा के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने बच्चों को डिजिटल युग में सतर्क रहने
और तकनीकी कौशल बढ़ाने के उपाय सुझाए। स्कूल शिक्षा विभाग के निदेशक जितेंद्र दहिया
ने बताया कि यह प्रदर्शनी बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी। उन्होंने कहा कि भारी
बारिश के बावजूद 30,000 से अधिक बच्चों ने इस आयोजन में भाग लिया, जो बच्चों की जिज्ञासा
और समर्पण को दर्शाता है।
रोमांचक अनुभव के साथ प्रदर्शनी का
समापन
प्रदर्शनी के अंतिम
दिन बाल वैज्ञानिकों ने अपनी ज्ञान यात्रा के हिस्से के रूप में कुरुक्षेत्र भ्रमण
किया। यह अनुभव न केवल उन्हें भारत के गौरवशाली इतिहास से जोड़ेगा, बल्कि उनके भीतर
वैज्ञानिक सोच को और प्रोत्साहित करेगा। यह प्रदर्शनी बच्चों के लिए एक ऐसा मंच बनी,
जिसने उन्हें विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। आयोजकों
का यह प्रयास आने वाले वर्षों में भारत को नई पीढ़ी के वैज्ञानिकों से समृद्ध करेगा।
गुरुग्राम
के बच्चों के लिए रचनात्मक और ज्ञानवर्धक उपकरण प्रदर्शित किए गए। यहाँ बच्चों को सम
और विषम संख्याएँ सिखाने के लिए माथ मैजिक बॉक्स और अक्षरों व गिनती के लिए निपुण छाता
मुख्य आकर्षण रहे। मिट्टी के खिलौने और एक्टिविटी बुकलेट्स ने भाषा विकास को रोचक बनाया।
पानीपत के स्टॉल पर शैडो पपेट शो ने बच्चों को कहानियों के माध्यम से उनकी कल्पनाशक्ति
और कथा कौशल को उभारा। इसके अलावा, चित्र शब्द निर्माण और व्याकरण आधारित गतिविधियों
ने भाषा कौशल को बढ़ावा दिया। गणित-आधारित पहेलियों ने बच्चों को स्थानिक शब्द और आकृतियों
को समझने में मदद की। झज्जर में जोड़ मशीन और पजल सॉल्वर जैसे उपकरणों ने जोड़, क्रम,
और संज्ञानात्मक कौशल को विकसित किया। वहीं, इस-एम-आर गतिविधि ने अंग्रेजी वाक्य निर्माण
सिखाने में मदद की। सोनीपत की ओर से चटर पटर पपेट शो और बालवाटिका सेटअप छोटे बच्चों
के लिए संवाद और भाषा विकास का बेहतरीन माध्यम बने।इस प्रदर्शनी ने निपुण हरियाणा मिशन
के तहत बच्चों की बुनियादी साक्षरता और गणनात्मकता को बढ़ावा देने के प्रयासों को उजागर
किया।
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(Udaipur Kiran) शर्मा परवाना