सोनीपत, 10 सितंबर (Udaipur Kiran) । नेपाल केसरी, राष्ट्र संत, और मानव मिलन के संस्थापक
डॉ. मणिभद्र मुनि जी महाराज ने कहा कि साधु के पास जाने के तीन प्रमुख कारण होते हैं—भाव, अभाव, और प्रभाव। इन तीनों का विश्लेषण यह समझने
में मदद करता है कि साधु के पास जाने की प्रेरणाएं कितनी विविध हो सकती हैं।
मंगलवार को डॉ श्री मणिभद्र मुनि जी महाराज सेक्टर
15 स्थित जैन स्थानक में आयोजित चातुर्मास के दौरान भक्तजनों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि भाव से जाने वाले व्यक्ति आत्मिक विकास की तलाश में होते हैं, जबकि
अभाव से जाने वाले जीवन की समस्याओं का समाधान ढूंढते हैं। वहीं, प्रभाव से प्रेरित
व्यक्ति साधु के व्यक्तित्व और कार्यों से प्रभावित होते हैं। ये तीनों कारण साधु के
जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। साधु व्यक्ति को आत्मिक और मानसिक शांति
प्रदान करते हैं, साथ ही उनके जीवन को नई दिशा और उद्देश्य देते हैं।
डॉ. मणिभद्र मुनि ने कहा कि साधु के पास जाने के ये
तीन कारण व्यक्तिगत और आध्यात्मिक विकास के मार्ग को समझने में अहम भूमिका निभाते हैं।
साधु केवल ज्ञान और मार्गदर्शन का स्रोत नहीं होते, बल्कि वे जीवन की गहरी समस्याओं
को समझने में भी सहायक होते हैं। उनकी उपस्थिति व्यक्ति को प्रेरित करती है, जिससे
उसकी जीवन यात्रा सार्थक बनती है। जैन स्थानक में भक्तामर जाप का आयोजन किया जा रहा है,
जिसमें इलाहाबाद के महावीर प्रसाद जैन एवं कुसुम जैन मुख्य अतिथि हैं।
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(Udaipur Kiran) परवाना