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शिमला, 19 नवंबर (Udaipur Kiran) । पिता की इच्छा का मान रखते हुए शिमला के संजौली निवासी भाई बहन ने अपने मृत पिता राकेश आहूजा (69 वर्षीय) के नेत्र दान किए। राकेश आहूजा लंबे समय से हृदय रोग से ग्रसित थे। इसी के चलते तीन नवंबर के दिन उन्हें अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में दाखिल किया गया। बीमारी गंभीर होने के कारण छह नवंबर के दिन उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके पुत्र राघव आहूजा ने बताया कि उनके पिता ने नेत्रदान करने का संकल्प पहले से ले रखा था। नेत्रदान के बारे में पहले से जानकारी होने के कारण माता रितिका आहूजा ने नेत्रदान करने के लिए हामी भरी।
वहीं कनाडा से आई बेटी रोहिणी ने कहा कि हमें बेहद खुशी है कि पिता के जाने के बाद उनकी आँखें किसी के जीवन की रौशनी बनेगी।
उन्होंने बताया कि उनके सारे परिवार ने पहले से ही नेत्रदान का संकल्प लिया है। नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ रामलाल शर्मा ने बताया कि नेत्रदान होने के बाद मृतक के दोनों नेत्र जरूरतमंदों को ट्रांसप्लांट हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि नेत्रदान तभी संभव हो पता है जब मृतक का परिवार नेत्रदान करने के लिए आगे आए।
उन्होंने कहा कि जागरूकता की कमी के कारण अधिकतर लोग नेत्र दान से पीछे हट जाते हैं। नेत्र दान सर्वश्रेष्ठ दान तो है ही, साथ ही यह मानवता के हित में उठाया गया महान कदम है। इससे किसी का अँधेरा जीवन उजाले से भर जाएगा। नेत्रदान मरने के बाद भी जिन्दा रहने का अनमोल वरदान हैं। मरने के बाद जो व्यक्ति नेत्रदान करता हैं, सही मायने में उसका जीवन सफल एवं सम्माननीय हैं।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
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