Madhya Pradesh

कभी खुशी कभी गम होने पर हो जाएं सतर्क, ये बाइपोलर डिसऑर्डर भी हो सकता है

बाइपोलर डिसऑर्डर स्क्रीनिंग एवं जागरूकता शिविर

– बाइपोलर डिसऑर्डर दिवस पर स्वास्थ्य संस्थाओं में हुए जागरूकता कार्यक्रम

भोपाल, 31 मार्च (Udaipur Kiran) । बाइपोलर डिसऑर्डर के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से भोपाल जिले की शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में सोमवार को बाइपोलर डिसऑर्डर दिवस मनाया गया। इस अवसर बीमारी के लक्षणों और उपलब्ध विचार के उपचार के बारे में जानकारी दी गई। इस अवसर पर जिला जयप्रकाश चिकित्सालय में बाइपोलर डिसऑर्डर स्क्रीनिंग एवं जागरूकता शिविर आयोजित किया गया।

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत् आयोजित इस शिविर में बीमारी के लक्षणों की जानकारी दी गई। परामर्श कार्यक्रम में बताया गया कि बाइपोलर डिसऑर्डर एक मानसिक विकार है जिसमें व्यक्ति के मूड में अत्यधिक उतार-चढ़ाव होता है। इसमें व्यक्ति को कभी अत्यधिक खुशी और ऊर्जा का अनुभव होता है, तो कभी अत्यधिक उदासी और थकान का अनुभव होता है। यह स्थिति व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकती है, जिसमें उनके रिश्ते, काम और दैनिक गतिविधियाँ शामिल हैं। इन लोगों में अवसाद के लक्षण जैसे कि उदासीनता, थकान और आत्महत्या के विचार, मैनिया के लक्षण जैसे कि अत्यधिक ऊर्जा, उत्साह और जोखिम भरे व्यवहार, अनिद्रा की समस्या एकाग्रता में कमी हो सकती है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि अभी तक ज्ञात कारणों में बाइपोलर डिसऑर्डर होने के कारण आनुवंशिक हो सकता है। न्यूरोकेमिकल असंतुलन और तनाव बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षणों को बढ़ा सकता है। बाइपोलर डिसऑर्डर के उपचार में चिकित्सक द्वारा रोग की स्थिति का आंकलन कर मूड स्टेबिलाइज़र और एंटीडिप्रेसेंट दवाएं दी जाती हैं। कॉग्निटिव- बिहेवियरल थेरेपी और फैमिली थेरेपी बाइपोलर डिसऑर्डर के उपचार में मदद कर सकती है। इसके अलावा जीवनशैली में बदलाव जैसे कि नियमित व्यायाम और स्वस्थ आहार, बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। बाइपोलर डिसऑर्डर टाइप 1 में व्यक्ति को कम से कम एक मैनिक एपिसोड (अत्यधिक खुशी और ऊर्जा का अनुभव) और कम से कम एक मेजर डिप्रेसिव एपिसोड (अत्यधिक उदासी और थकान का अनुभव) का अनुभव होता है।

उन्होंने बताया कि बाइपोलर डिसऑर्डर टाइप 2 में व्यक्ति को कम से कम एक मेजर डिप्रेसिव एपिसोड और कम से कम एक हाइपोमैनिक एपिसोड (अत्यधिक खुशी और ऊर्जा का अनुभव, लेकिन मैनिक एपिसोड की तुलना में कम गंभीर) का अनुभव होता है। तीसरा है साइक्लोथाइमिक डिसऑर्डर, जिसमें व्यक्ति को कम से कम दो साल तक मूड में उतार-चढ़ाव का अनुभव होता है, लेकिन यह उतार-चढ़ाव बाइपोलर डिसऑर्डर की तुलना में कम गंभीर होता है।

डॉ.तिवारी ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को देखते हुए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। जिले में मैदानी कार्यकर्ताओं को भी मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में प्रशिक्षण दिया गया है। मूड में उतार-चढ़ाव, ऊर्जा में उतार-चढ़ाव, नींद में परिवर्तन, भूख में परिवर्तन, आत्मविश्वास में परिवर्तन, सोच और व्यवहार में परिवर्तन दिखने पर सलाह ली जानी चाहिए।

जिला चिकित्सालय जयप्रकाश के मनकक्ष में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं नि:शुल्क उपलब्ध है। टेलीमानस हेल्पलाइन नंबर 14416 अथवा 18008914416 पर 24 घंटे सातों दिन नि:शुल्क परामर्श उपलब्ध है।

(Udaipur Kiran) तोमर

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