Uttrakhand

स्टाफ हाउस क्षेत्र में कहीं लोग स्वयं सफाई कर रहे, कहीं सफाई हो ही नहीं रही

स्टाफ हाउस क्षेत्र में स्वयं सफाई में योगदान देने वाले आनंद राम।

नैनीताल, 14 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । पर्यटन नगरी नैनीताल में साफ-सफाई एक बड़ी समस्या है। कारण, अनेक लोगों में सफाई के प्रति जागरूकता नहीं है और वे यहां-वहां गंदगी फैलाते हैं और नगर पालिका के पास पर्यावरण मित्रों की संख्या सीमित है। नगर में सफाई और गंदगी दोनों स्थितियों पर देश भर से आने वाले सैलानियों की नजर पड़ती है और इससे नगर के साथ पूरे प्रदेश की साफ-सफाई के प्रति छवि भी अच्छी या बुरी बनती है।

इन स्थितियों के बीच नगर के स्टाफ हाउस निवासी आनन्द राम और उनके सहयोगी चन्दन नेगी, राजेंद्र सिंह व कामेन्द्र सिंह आदि पिछले कई वर्षों से अपने घर के आस-पास और आम रास्तों की साफ-सफाई कर रहे हैं। वे न केवल झाड़ियों की कटाई करते हैं, वरन दीवारों की मरम्मत भी करते हैं, और अन्य लोगों को भी स्वच्छता का महत्व समझाते हैं।

उन्हाेंने बताया कि गन्दगी से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए स्वच्छता को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने की आवश्यकता है, न कि सफाई को केवल 2 अक्टूबर, 15 अगस्त, 26 जनवरी जैसे विशेष दिनों तक सीमित रखा जाए। समाज में अन्य वार्डों में भी ऐसे लोगों की आवश्यकता है।

स्टाफ हाउस का ही चार्टन लॉज क्षेत्र शहर के सबसे गंदे क्षेत्रों में शामिल

नैनीताल। नगर के स्टाफ हाउस वार्ड में ही जहां कुछ लोग स्वयं सफाई कर अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं, वहीं इसी वार्ड के अंतर्गत बीडी पांडे जिला चिकित्सालय का पिछले वर्ष सितंबर माह में अतिक्रमण मुक्त कराया गया क्षेत्र नगर के सबसे गंदे क्षेत्रों में नजर आ रहा है। यहां एक वर्ष बाद भी जिला चिकित्सालय ने कोई कार्य नहीं कराये हैं, इस कारण क्षेत्रीय लोगों के परंपरागत मार्ग में एक वर्ष पूर्व तोड़े गये घरों का मलबा पड़ा है। साथ ही इस मार्ग एवं पूरे क्षेत्र को लोगों ने अघोषित कूड़ा घर बना दिया है। मार्ग सही नहीं होने के कारण नगर पालिका के कर्मी भी यहां सफाई करने नहीं आते हैं। साथ ही निचला क्षेत्र होने के कारण यहां अक्सर सीवर लाइन भी चोक रहती है और यहां बजबजाती गंदगी के बीच से लोगों को गुजरना मुश्किल पड़ता है।

बिड़ला विद्या मंदिर मार्ग पर बह रहा सीवर

नैनीताल। नगर के बिड़ला चुंगी क्षेत्र में बिड़ला विद्या मंदिर को जाने वाले मार्ग पर सीवर का खुले में बहना एक बड़ी समस्या बना हुआ है। बताया गया है कि पिछले एक साल से भी अधिक समय से सीवर कमोबेश लगातार बह रहा है। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि मीडिया में इस बारे में समाचार छपने पर जल संस्थान सक्शन मशीन भेजकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेता है। इसके अगले ही दिन से यह सीवर फिर से बहने लगता है। उत्तराखंड जल संस्थान के सहायक अभियंता डीएस बिष्ट ने कहा कि जब भी शिकायत आती है, सीवर की सफाई कराई जाती है।

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(Udaipur Kiran) / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

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