जयपुर, 5 नवंबर (Udaipur Kiran) । जयपुर महानगर प्रथम की स्थाई लोक अदालत ने गर्भ में पल रहे शिशु की मृत्यु बताकार प्री-मैच्योर डिलीवरी करने और बाद में शिशु की मौत को गंभीर लापरवाही माना है। इसके साथ ही अदालत ने विपक्षी एमएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल व कंट्रोलर और जनाना अस्पताल के अधीक्षक पर 5.20 लाख रुपये का हर्जाना लगाया है। अदालत ने कहा कि विपक्षी हर्जाना राशि का भुगतान परिवादी को तीस दिन में करें। लोक अदालत के अध्यक्ष मनोज कुमार सहारिया व सदस्या सीमा शार्दुल ने यह आदेश बीना मीना के प्रार्थना पत्र पर दिए।
प्रार्थना पत्र में अधिवक्ता विजी अग्रवाल ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान प्रार्थिया ने जनाना अस्पताल की देखरेख में इलाज शुरू करवाया। उसकी एक नवंबर 2023 को अल्ट्रा सोनोग्राफी की, जिसमें 25 सप्ताह के भ्रूण की मृत्यु होना बताया। जबकि प्रार्थिया ने कहा कि उसे गर्भ में भ्रूण की हरकत महसूस हो रही है, लेकिन डॉक्टर्स ने उसे कहा कि तत्काल भ्रूण नहीं निकाला तो संक्रमण होने से उसकी जान जा सकती है। इसके बाद 9 नवंबर 2023 को इंजेक्शन देकर उसकी प्री मैच्योर डिलीवरी करवाई गई। इसमें उसने जीवित शिशु को जन्म दिया और उसे बच्चा वार्ड में भेजना बताया। प्रार्थना पत्र में कहा गया कि डिलीवरी के करीब तीन घंटे बाद उसे बताया कि प्री मैच्योर डिलीवरी के चलते शिशु की मृत्यु हो गई है। इस पर अदालत में प्रार्थना पत्र पेश कर क्षतिपूर्ति राशि देने की गुहार की। इसके जवाब में अस्पताल प्रशासन की ओर से कहा गया कि मरीजों की भीड और अधिक कार्य होने के कारण सोनोग्राफी बदलने से इनकार नहीं किया जा सकता। यूनिट के डॉक्टर ने सोनोग्राफी पर ही प्रसव का निर्णय लिया था। शिशु को बचाने का हर संभव प्रयास भी किया गया था और उसे पहले एनआईसीयू में भर्ती करने के बाद वेंटीलेटर पर भी रखा गया, लेकिन बाद में उसकी मृत्यु हो गई। ऐसे में उनकी ओर से लापरवाही नहीं बरती गई है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अस्पताल पर हर्जाना लगाया है।
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(Udaipur Kiran)