—यूपी विधानसभा घेराव के लिए जा रहे थे,कैंट स्टेशन पर देर शाम पुलिस ने रोक लिया,बस में बैठाकर पुलिस लाइन लाया गया
वाराणसी,18 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । प्रदेश विधानसभा का घेराव करने लखनऊ जा रहे गिरफ्तार कांग्रेसी बुधवार अपरान्ह में मुचलके पर रिहा हो गए। रिहाई के बाद कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। पार्टी के स्थानीय महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने इस दौरान आरोप लगाया कि प्रदेश और केंद्र की सरकार लगातार लोकतंत्र और संविधान की हत्या कर रही है । गांधीवादी तरीके से कांग्रेस के विधानसभा घेरो कार्यक्रम को दबाने के लिए पूरे प्रदेश में हर जगह कांग्रेस कार्यकर्ताओं को रोकने का काम किया गया। यहां तक की बनारस सहित अन्य शहरों में कार्यकर्ताओं को उनके घरों में ही नजर बंद कर दिया गया। इसकी जितनी भी निंदा की जाय कम ही है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि यह कार्यवाही लोकतंत्र संविधान की हत्या है । हमारे मौलिक अधिकारों की हत्या की जा रही है। जिसे पार्टी कार्यकर्ता किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे । बढ़ती हुई महंगाई, बेरोजगारी ,किसानों, मजदूरों, नौजवानों ,महिलाओं का उत्पीड़न के खिलाफ हम गांधीवादी तरीके से संघर्ष करते रहेंगे। कांग्रेस कार्यकर्ता जेल जाने, पुलिस की लाठी खाने से कभी ना डरा है और ना ही डरेगा। महानगर अध्यक्ष ने बताया कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के आह्वान पर आयोजित विधानसभा घेरो कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भाग लेने के लिए कार्यकर्ता मंगलवार देर शाम कैंट स्टेशन पर पहुंचे थे। जहां पहले से ही भारी पुलिस फोर्स तैनात कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए तैनात रही। कार्यकर्ताओं और पार्टी के नेताओं को रेलवे स्टेशन के अंदर जाने से रोका गया। विरोध जताने पर सभी को गिरफ्तार कर बस में बैठा कर पुलिस लाइन ले जाया गया। जहां ठंड को देखते हुए किसी भी प्रकार की उचित व्यवस्था नहीं की गई थी। यहां तक की पीने के पानी तक की भी व्यवस्था नही की गई थी।
बुधवार अपरान्ह में पुलिस लाइन से मुचलके पर सभी कांग्रेस जनों को रिहा किया गया। गिरफ्तार और रिहा होने कार्यकर्ताओं में महानगर अध्यक्ष राघवेन्द्र चौबे,फ़साहत हुसैन बाबू,सतनाम सिंह,डॉ राजेश गुप्ता, वकील अंसारी,अशोक सिंह,असलम खां,संतोष मौर्य, हसन मेहदी कब्बन, आशिष गुप्ता, अब्दुल हमीद डोडे, अफसर खां,रोहित दुबे,पीयूष श्रीवास्तव,वीरेन्द्र प्रताप सिंह,मोहम्मद उज्जेर आदि रहे।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी