नई दिल्ली, 23 नवंबर (Udaipur Kiran) ।दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित 43 वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में देशी विदेशी उत्पाद और हुनर ही नहीं बल्कि संघर्ष व सफलता की कहानियां भी दर्शकों को बहुत आकर्षित कर रही हैं। यहां पर एक दो नहीं बल्कि अनेक कारीगर-कलाकार आए हुए हैं।
इस बार व्यापार मेला आम जनता के लिए 19 नवंबर से खोला गया था। इसे पहले 14 – 19 नवंबर तक व्यापारियों के लिए था । सप्ताह के आखिरी दिन यानी 23 नवंबर को बहुत बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ देखने को मिली ।
हॉल नं. एक स्थित झारखंड मंडप में बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो लोगों को आकर्षित कर रही हैं।
हॉल नंबर दो स्थित बिहार मंडप में सभी कारीगर अपनी अनूठी हस्तकला और परंपरा को जीवंत कर रहे हैं। इन कारीगरों के हैंडलूम, टसर सिल्क, जरी, हैंडब्लॉक प्रिंटिंग और मधुबनी पेंटिंग के साथ टिकुली पेंटिंग जैसे हस्तनिर्मित उत्पाद मेले में लोगों का ध्यान खींच रहे हैं।
हॉल नंबर दो में ही उत्तर प्रदेश मंडप भी हैं जिसमें हाथरस की हींग, बनारस की साड़ी के साथ आर्गेनिक फार्मिंग है जो लोगों के स्वास्थ में उपयोग करने वाली चीजें उपलब्ध करवाता हैं।
हॉल नंबर तीन में न केवल वास्तविक डायनासोर के अंडे बल्कि उनके पैर और पूंछ की हड्डियां व अन्य अवशेष भी देख पा रहे हैं। ये अंडे शाकाहारी और मांसाहारी डायनासोर दोनों के ही हैं, जो महाराष्ट्र के चंद्रपुर और गुजरात के खेड़ा जिले में खोजे गए हैं।
हॉल नंबर छह विदेशों कलाओं और उनकी चीजें से लोगों के आकर्षण का केंद्र बना है।
वहीं अगर लोगों की दिक्कत और परेशानी का सबसे बड़ा कारण है सही सुविधाओं का मेले में न होना जैसे उनको मेट्रो से मेले तक आने में परेशानी हो रही है।
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(Udaipur Kiran) / माधवी त्रिपाठी