मंडी, 12 सितंबर (Udaipur Kiran) । राज्य बिजली बोर्ड से मुख्य अभियंता के तौर पर सेवानिवृत 66 साल के नवीन कौशल समुद्रतल से साढ़े 18 हजार फीट की उंचाई पर स्थित थमसर जोत को लांघकर प्रदेश के सबसे दुर्गम गांव बड़ा भंगाल पहुंच कर वहां रह रहे लोगों के जनजीवन से रूबरू हुए। नवीन कौशल पिछले दस सालों से लगातार ट्रेकिंग कर रहे हैं और इस बार उन्होंने अपना 66 वां जन्म दिन भी इसी कठिन यात्रा के बीच सबसे उंची चोटी व दर्रे थमसर में मनाया।
यात्रा से लौट कर अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि बताया गया था कि बड़ा भंगाल प्रदेश का सबसे दुर्गम गांव है। ऐसे में उन्होंने अपनी यात्राओं का दशक पूरा करने के लिए इस यात्रा को चुना। 7 सितंबर को वह इस यात्रा पर रवाना हुए। विपरीत मौसम के बावजूद अपने एक साथी के साथ उन्होंने तीन दिन तक कठिन चढ़ाई चढ़ते हुए थमसर जोत को पार किया और फिर बड़ा भंगाल पहुंचे।
नवीन कौशल ने बताया कि वह अब तक 20 चोटियों पर सफल चढ़ाई कर चुके हैं। इनमें प्रमुख 18471 फीट पर डोलमा पास, तिब्ब में स्वर्ग रोहिणी 20511 फीट, उतराखंड पित्रधार, भृगु झील, चूहड़धार, हिमानी चामुंडा व हामटा पास प्रमुख है। हिम्मत रखें तो उम्र कहीं बाधा नहीं बनती। उनके अनुसार वह 2014 से लगातार पहाडिय़ों व जोतों की यात्रा करते हैं व हर साल 7 सितंबर को अपना जन्मदिन इसी दौरान मनाते हैं।
कौशल ने बताया कि 4 सितंबर को उन्होंने यात्रा विलिंग से आगे कुक्कड़ गुंधा से शुरू की और 59 किलोमीटर पैदल चलते हुए 6 दिन बाद चंबा जिले के नया ग्रां पहुंचे। बड़ा भंगाल के बारे में उन्होंने बताया कि लोग बेहद कठिन परिस्थितियों में यहां रहते हैं। औषधालय में डाक्टर नहीं हैए फार्मासिस्ट नहीं हैए गांव में न बिजली है न टेलीफोन है। लोगों को एक किलो सामान की ढुलाई के लिए भी 35 रूपए प्रतिकिलो भाड़ा देना पड़ता है। घोड़े खच्चरों पर ही सारा सामान गांव में कई दिन के सफर के बाद बीड़ विलिंग से पहुंचता है। गांव की पैदावार सडक़ न होने से बाहर जा नहीं सकती । वहां पर प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं दिखती। लोग सैटलाइट फोन पर निर्भर हैं। वे वहां पहुंचे तो उनके हौंसले की सबने तारीफ की। भोले-भाले व साफ सुथरे लोग हैं।
उन्होंने सरकार से भी गुहार लगाई कि बड़ा भंगाल के लोगों को भी विकास की मुख्य धारा के साथ जोड़े व उन्हें भी सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाएं।
—————
(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा