
औरैया, 28 फरवरी (Udaipur Kiran) । फफूंद नगर में स्थित कोठीपुर मार्ग पर पक्के तालाब पर शिव मंदिर में चल रही श्री शिव महापुराण कथा में छठवें दिन कथावाचक आचार्य प्रदीप मिश्रा ने शिव विवाह की कथा सुनाई।
उन्होंने कहा की आत्मा का परमात्मा से मिलन ही शिव में लीन हो जाना है। भगवान शंकर वैराग्य के देवता माने गए हैं, परंतु शिव ने विवाह भी कर संसार को गृहस्थ आश्रम में रहकर भी वैराग्य व योग धर्म का अनुसरण करने का तरीका दिया। कथावाचक ने कहा कि शिव परिवार में भगवान के वाहक नंदी,मां पार्वती का शेर, गणेश जी का मूसक और कार्तिकेय का वाहन मोर है। शिव के गले में सर्प रहते हैं जो सभी विपरीत विचारधारा के बीच सामंजस्य रखना ही शिव पुराण सिखाता है। भगवान के विवाह के वर्णन में मैनादेवी व हिमालय राज की पुत्री के रूप में मां पार्वती का जन्म लेना। प्रारंभिक काल में शिव की तपस्या करना,उसी दौरान तारकासुर के आतंक को खत्म करने के लिए शिव का तंद्रा भंग हुई। तब जाकर शिव पार्वती का विवाह हुआ । इसी दौरान भजनों में आऐ री सखी मंगल गाओ री,खुशियाँ मनाओ री। शुभ दिन आयो आज सखी री, मंगल आशा मन को सोहे। श्रद्धालुओं के बीच भजनों की अमृत वर्षा हुई।कथा सुनने के लिए पंडाल भक्तों से भरा रहा।
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(Udaipur Kiran) कुमार
