
कोलकाता, 30 मई (Udaipur Kiran) । जुड़वां बच्चों की परवरिश के लिए बिना अनुमति के छह महीने की छुट्टी लेने वाली एक शिक्षिका को कलकत्ता हाईकोर्ट ने राहत दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कानून के तहत एक माँ को बच्चों की देखभाल के लिए 730 दिनों तक की छुट्टी लेने का अधिकार है, और शिक्षिका को इस हक से वंचित नहीं किया जा सकता।
मामला कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज का है, जहां अर्थशास्त्र विभाग की शिक्षिका (परिवर्तित नाम : रूपसा सरकार) ने अपने 13 महीने के जुड़वां बच्चों की देखभाल के लिए छुट्टी मांगी थी। उनका कहना था कि उनके पति विदेश में रहते हैं और बच्चों की देखभाल के लिए उन्हें और छुट्टी की जरूरत है। कॉलेज प्रशासन ने छुट्टी मंजूर नहीं की, जिसके बाद शिक्षिका ने बिना अनुमति के 189 दिनों की छुट्टी ली।
इसके बाद कॉलेज की प्रबंधन समिति ने शिक्षिका का वेतन रोक दिया और उनसे वह राशि लौटाने को कहा जो छुट्टी के दौरान दी गई थी। साथ ही उन्हें शो कॉज नोटिस भी जारी किया गया। परेशान होकर शिक्षिका ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
बेंच के न्यायाधीश जॉय सेनगुप्ता ने मामले की सुनवाई करते हुए कॉलेज प्रबंधन के निर्णय को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि शिक्षिका को अगले छह हफ्तों के भीतर उनका बकाया वेतन — जो लगभग चार लाख रुपये है — दिया जाए। न्यायाधीश ने यह भी स्पष्ट किया कि शिक्षिका को अभी लगभग 400 दिनों की छुट्टी का अधिकार है और वे बच्चों की देखभाल के लिए आगे भी छुट्टी ले सकती हैं।
शिक्षिका ने कोर्ट के समक्ष अपने बच्चों और स्वयं के मेडिकल दस्तावेज़ पेश किए। कोर्ट ने टिप्पणी की कि इतनी कम उम्र के दो बच्चों की देखभाल करने के लिए छुट्टी लेना एक मां का नैतिक और कानूनी अधिकार है और इसमें कोई अनुचितता नहीं है।
शिक्षिका ने कॉलेज प्रशासन को यह भी प्रस्ताव दिया था कि छुट्टी स्वीकृत होने पर वह ऑनलाइन माध्यम से कक्षाएं ले सकती हैं। उन्होंने यह तर्क भी दिया कि कॉलेज में उनके अलावा दो और अर्थशास्त्र के शिक्षक हैं और पिछले दो शैक्षणिक वर्षों से कोई नया छात्र नामांकित नहीं हुआ है। बावजूद इसके, कॉलेज प्रशासन ने किसी भी प्रस्ताव पर सकारात्मक रुख नहीं दिखाया।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
