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एसआईटी ने कोर्ट में मुंबई होर्डिंग मामले में 3,299 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की

एसआईटी ने कोर्ट में मुंबई होर्डिंग मामले की 3,299 पन्नों की चार्जशीट पेश किया

– चार्जशीट में बीएमसी और होर्डिंग कंपनी में मिलीभगत का खुलासा

मुंबई, 15 जुलाई ( हि.स.)। विशेष जांच दल (एसआईटी) ने सोमवार को मुंबई होर्डिंग हादसा मामले की 3,299 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी है। चार्जशीट में एसआईटी ने कहा है कि यह होर्डिंग घाटकोपर में रेलवे की जमीन पर मुंबई नगर निगम (बीएमसी) और होर्डिंग मालिक भावेश की मिली भगत से लगाई गई थी। चार्जशीट में कहा गया है कि होर्डिंग लगाने से पहले जेसीबी ऑपरेटर ने होर्डिंग लगाने वाली कंपनी को बताया था कि मिट्टी नर्म है, इसलिए यहां होर्डिंग लगाना ठीक नहीं है।

एसआईटी की चार्जशीट के अनुसार जेसीबी ऑपरेटर के सुझाव को दरकिनार कर जनवरी, 2023 में होर्डिंग लगा दी गई और 16 महीने बाद 13 मई की शाम 250 टन वजनी होर्डिंग गिर गई। इस हादसे में 17 लोगों की मौत हो गई और 74 लोग घायल हो गए। होर्डिंग गिरने के बाद 66 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला था।एसआईटी ने चार्जशीट में यह भी कहा है कि रेलवे के अधिकारी, ईगो मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारी और बीएमसी के अधिकारी मिले हुए थे।

एसआईटी के अनुसार घाटकोपर में होर्डिंग लगाने के समय जेसीबी ऑपरेटर को मिट्टी के नर्म होने का पता चला था। जेसीबी ऑपरेटर ने मिट्टी की पूरी तरह से जांच कराने की सिफारिश कंपनी से की थी, लेकिन इस जांच में 15 दिन का समय लग सकता था। ईगो मीडिया के डायरेक्टर भावेश भिंडे ने 15 दिन का इंतजार नहीं किया और होर्डिंग लगवा दी थी। एसआईटी ने इस मामले में 100 से अधिक गवाहों के बयान दर्ज किये हैं, जिनमें जेसीबी ऑपरेटर भी है।

चार्जशीट में कहा गया है कि होर्डिंग का अधिकतम साइज 40 फीटx40 फीट होता है, लेकिन इस होर्डिंग का साइज तीन गुना ज्यादा था। इतने बड़े होर्डिंग की वजह से इसे लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में भी दर्ज किया गया था। होर्डिंग गिरने के बाद रेलवे के असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर (एडमिन) ने होर्डिंग हादसे पर बयान जारी कर कहा था कि जिस पेट्रोल पंप पर होर्डिंग गिरा, वह भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड का है। यह पेट्रोल पंप रेलवे पुलिस की जमीन पर बना है। तत्कालीन रेलवे कमिश्नर कैसर खालिद ने दिसंबर, 2021 में भावेश की कंपनी को 10 साल के लिए पेट्रोल पंप के पास होर्डिंग्स लगाने की मंजूरी दी थी।

(Udaipur Kiran) यादव / सुनीत निगम

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