
सिरसा, 17 अप्रैल (Udaipur Kiran) । अध्यापक संगठनों ने ऑन लाइन डायरी लिखने के विरोध में गुरुवार को जिला मुख्यालय पर सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया।
अध्यापक संगठनों के नेताओं ने कहा कि एक तरफ तो सरकार द्वारा स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने को लेकर दबाव बनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर बिना मतलब के फरमान जारी कर अध्यापकों को प्रताडि़त करने का काम किया जा रहा है।
सरकार ने स्कूलों को पहले मॉडल स्कूल का दर्जा दिया, इसके बाद पीएमश्री का दर्जा दिया, जिसके तहत सरकारी स्कूलों में बच्चों की फीस लागू कर दी। बड़ी बात ये है कि सरकार ने पीएमश्री स्कूलों को हर प्रकार का फंड जारी कर दिया है, लेकिन दूसरे स्कूलों को कोई फंड नहीं मिलता, जिसका सीधा सा मतलब है कि सरकार निजी स्कूलों को लाभ देने के लिए सरकारी स्कूलों को बंद करना चाहती है।
उन्होंने कहा कि फीस लागू होने के कारण जिस स्कूल में पहले दो हजार बच्चे थे, उस स्कूल में अब एक हजार बच्चे रह गए हैं। जहां एक हजार थे, वहां 500 से कम बच्चे रह गए हंै। उन्होंने बताया कि सरकार ने ऑनलाइन डायरी का जो फरमान जारी किया है, ऐसे निर्णय केवल और केवल समय की बर्बादी है व शिक्षक को शिक्षण के अतिरिक्त अन्य कामों में उलझाए रखने का षडय़ंत्र है। पहले से ही शिक्षकों को अनेक ऐसे गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया हुआ है, जो काम सरकार अन्य विभागों या शिक्षित बेरोजगार युवकों से भी ले सकती है, लेकिन योजनाबद्ध तरीके से शिक्षकों को इस काम में लगाया जाता है, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। सरकार को ऐसे निर्णय तुरन्त प्रभाव से वापस लेने चाहिए व इसके साथ-साथ अन्य गैर शैक्षणिक कार्यों से भी अध्यापकों को मुक्त रखते हुए उनसे केवल शिक्षण कार्य ही करवाया जाना चाहिए।
ये हैं प्रमुख मांगें
अध्यापक संगठनों के नेताओं ने बताया कि सरकार ने हाल ही में ऑनलाइन डायरी का जो फरमान जारी किया है, उसे तुरंत प्रभाव से वापिस लिया जाए। एफएलएन के काम को बंद किया जाए। उल्लास का काम शिक्षकों से न करवाया जाए। चिराग योजना को बंद किया जाए।
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(Udaipur Kiran) / Dinesh Chand Sharma
