
जयपुर, 10 फरवरी (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने एकल पट्टा प्रकरण में राज्य सरकार की ओर से मामले से जुड़े अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने के लिए समय मांगने पर नाराजगी जताई। सीजे एमएम श्रीवास्तव ने मौखिक टिप्पणी करते हुए राज्य सरकार के एएसजी ए.वी.राजू को कहा कि एक ओर से सरकार सुप्रीम कोर्ट से मामले का जल्द निस्तारण आदेश लेकर आती है और दूसरी ओर यहां पर समय मांग रही है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का छह महीने में निस्तारण करने का आदेश दे रखा है। वहीं हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को उस रिवीजन याचिका को भी फिलहाल वापस लेने की मंजूरी नहीं दी, जिसमें एसीबी कोर्ट के आरोपियों के खिलाफ दी गई अभियोजन स्वीकृति को वापस लेने से मना करने के आदेश को चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने कहा कि वे इस रिवीजन याचिका को मेरिट पर तय करेंगे। वहीं अदालत ने मामले में अंतिम सुनवाई 19 मार्च को तय करते हुए राज्य सरकार को मामले से जुड़े अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने के लिए समय दिया है। वहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थी रहे अशोक पाठक को भी इंटर्वीनर बनने की मंजूरी देते हुए अर्जी दायर करने के लिए कहा है। इससे पहले जब अशोक पाठक ने अदालत से मामले में खुद का वकील बदलने के लिए कहा तो अदालत ने उन्हें भी फटकार लगाते हुए कहा कि केस की जल्द सुनवाई करनी है, वकील अभी तक क्यों नहीं बदला। सुनवाई के दौरान पक्षकारों के अधिवक्ता एसएस होरा ने कहा कि वे राज्य सरकार की रिवीजन का जवाब देंगे। मामले से जुड़े एएजी शिवमंगल शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार ने दो अर्जियां दायर की हैं। इनमें कहा है कि ट्रायल कोर्ट के समक्ष दायर क्लोजर रिपोर्टस अधूरी व दोषपूर्ण साक्ष्यों पर की गई जांच के आधार पर थी और इसके चलते ही पूर्व मंत्री शांति धारीवाल को बरी कर दिया था। इसकी जांच के लिए गठित हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस आरएस राठौड़ की कमेटी ने भी इस मामले की समीक्षा की थी और प्रारंभिक रिपोर्ट में कई गंभीर खामियां बताई थीं। ऐसे में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने में गंभीर चूक हुई थी, जिससे महत्वपूर्ण दस्तावेजों और ठोस सबूतों की अनदेखी की गई। इसलिए राज्य सरकार ने इन गलतियों को सुधारने व भ्रष्टाचार के आरोपों की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा मामले में आरोपी पूर्व आईएएस जीएस संधू, निष्काम दिवाकर और ओंकारमल सैनी के खिलाफ मुकदमा वापस लेने के प्रार्थना पत्र को खारिज करने के खिलाफ दायर निगरानी को भी वापस लेने की गुहार की है।
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(Udaipur Kiran)
