लखनऊ, 11 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण खंड को पीपीपी माॅडल बनाये जाने पर उप्र राज्य उपभोक्ता परिषद ने कई सवाल उठाये हैं। परिषद का कहना है कि कंपनियों को पूरी जमीन तो एक रुपये में दी जा रही है। राजकीय सब्सिडी भी दी जाएगी, लेकिन उपभोक्ताओं का इन दोनों कंपनियों पर निकल रहे उपभोक्ताओं के 16000 करोड़ रुपये के सरप्लस पर कोई बात नहीं हो रही। इससे यह साबित होता है कि सरकार उद्योग घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए यह सब कुछ कर रही है। उसको उपभोक्ताओं के हित का ध्यान नहीं है।
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि एनर्जी टास्क फोर्स के मसौदे में पांचों बिजली कंपनियों का संभावित नाम भी घोषित हो गया है। इसके बावजूद पूर्वांचल वी दक्षिणांचल पर उपभोक्ताओं के सरप्लस पर कोई भी प्रावधान न करना प्रदेश के उपभोक्ताओं के साथ बड़ा धोखा है। केवल आने वाली निजी घरानों को ही संरक्षित करना उचित नहीं है। उपभोक्ता परिषद में प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की कि एनर्जी टास्क फोर्स में जो मसौदा किया गया। उसे अनुमोदित किया जाए, उससे निजी घरानों की कंपनी को सरकार को करोड़ों-अरबों प्रत्येक वर्ष देना होगा सब्सिडी । ऐसे में जहां सरकार की छवि भी धूमिल होगी, वहीं कंपनी बनाने का कोई मतलब नहीं, फिर सरकारी क्षेत्र में क्या बुराई है। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के प्रस्ताव पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एनर्जी टास्क फोर्स ने जिस मसौदे को अपनी मंजूरी दी है, उससे सबसे ज्यादा नुकसान उत्तर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का होने वाला है। प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर लगभग 33122 करोड सरप्लस निकल रहा है। यदि हम बात करें दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की तो दोनों में लगभग 1 करोड़ 62 लाख उपभोक्ता हैं। इनका सरप्लस लगभग 16000 करोड़ के आसपास होगा। एनर्जी टास्क फोर्स के मसौदे में इसका अता-पता नहीं है।
एनर्जी टास्क फोर्स ने अपने मसौदे में सभी पहलुओं को छुआ, यहां तक की पहली बार ऐसा हो रहा है कि पूर्वांचल व दक्षिणांचल की पूरी जमीन एक रुपए टोकन मनी पर निजी घरानों को दी जाएगी, जो उसको बेच नहीं सकते, न ही उसका दूसरा उपयोग कर सकते हैं। यानी केवल बिजली के लिए ही उसका उपयोग कर सकते हैं। सवाल यह उठता है कि जब नेटवर्थ में जमीन की पूरी लागत आकलित कर नहीं जोड़ी गई है, जबकि पाॅवर कारपोरेशन ने फिक्स ऐसेट रजिस्टर तैयार कर रखा है तो उस पर किराया निजी घरानों के लाभांश से क्यों नहीं लेने का प्रावधान बनाया गया। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि एनर्जी टास्क फोर्स ने अपने मसौदे में इस बात की भी अनुमति दी है कि टेंडर प्रपत्र जो निकल जाएंगे, उसके लिए पांच नई बनने वाली एसपीबी यानी कंपनियों के नाम भी बता दिए गए हैं। पहली कंपनी आगरा मथुरा विद्युत वितरण निगम लिमिटेड होगी। दूसरी कंपनी काशी विद्युत वितरण निगम लिमिटेड होगी। तीसरी कंपनी गोरखपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड होगी। चौथी कंपनी झांसी कानपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड होगी और पांचवीं कंपनी प्रयागराज विद्युत वितरण निगम लिमिटेड होगी। ऐसे मसौदे को अनुमति दी गई है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि यदि उपभोक्ताओं का जो बिजली कंपनियों पर सरप्लस निकल रहा है। पूर्वांचल और दक्षिणांचल पर लगभग 16000 करोड़ नई कंपनी बनने के बाद उसकी देनदारी है। यह किसके ऊपर रहेगी। वहीं एनर्जी टास्क फोर्स के मसौदे में यह भी इंगित कर दिया गया है कि जो नई कंपनी बनेगी। उसकी बिजली दर विद्युत नियामक आयोग तय करेगा, लेकिन सरप्लस के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है।
(Udaipur Kiran) / उपेन्द्र नाथ राय