Uttar Pradesh

शहर दक्षिणी से सात बार विधायक रहे श्यामदेव राय चौधरी नहीं रहे

फाइल फोटो

—शोक की लहर,शोक संवेदना जताने के लिए लोग आवास पर पहुंचे

वाराणसी, 26 नवम्बर (Udaipur Kiran) । प्रदेश के पूर्व मंत्री और शहर दक्षिणी के सात बार विधायक रहे भाजपा के दिग्गज नेता श्याम देव राय चौधरी ‘दादा’ नहीं रहे। दादा ने 85 वर्ष की अवस्था में मंगलवार को रविन्द्रपुरी स्थित निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। दादा के निधन की जानकारी पाते ही शहर में शोक की लहर दौड़ गई। भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ आमजन भी उनके गोदौलिया बड़ादेव स्थित आवास पर शोक जताने पहुंच गए। दादा के परिजनों ने बताया कि पिछले कई दिनों से दादा गंभीर रूप से बीमार चल रहे थे। रविन्द्रपुरी स्थित ओरियाना अस्पताल में भर्ती कराया गया। ब्रेन हैमरेज होने पर दादा को महमूरगंज स्थित हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान डॉक्टरों ने जवाब दे दिया। इसकी जानकारी परिजनों ने वाराणसी शहर दक्षिणी के विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी को दी थी। विधायक ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी और जिले के प्रशासनिक अधिकारियों से वार्ता कर उन्हें रवींद्रपुरी स्थित ओरियाना हॉस्पिटल में फिर भर्ती कराया, जहां उनका इलाज चल रहा था। दादा के हालत की जानकारी होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फोन से उनके स्वास्थ्य की जानकारी बीते मंगलवार को ही ली थी। इसके बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उन्हें अस्पताल में देखने के लिए पहुंचे थे। पिछले दिनों यूपी विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष भी दादा का हाल जानने उनके आवास पर पहुंचे थे।

दादा के नजदीकी कार्यकर्ताओं का कहना था अपने बड़े पुत्र के निधन के बाद से ही दादा का स्वास्थ्य खराब रहने लगा था। आठ अप्रैल 2021 को पूर्व विधायक के बड़े पुत्र प्रणव प्रकाश का 52 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। गौरतलब हो कि वाराणसी शहर दक्षिणी विधानसभा क्षेत्र से 1989 से 2017 तक दादा लगातार सात बार जीते थे। भाजपा सरकार में दादा मंत्री भी रहे। दादा 2007 और 2012 में प्रोटेम स्पीकर बनाए गए। वर्ष 2017 में शहर दक्षिणी से टिकट कटने पर दादा ने सक्रिय राजनीति से सन्यास ले लिया था। काशी की जड़ों से गहराई से जुड़े दादा भाजपा के एकमात्र ऐसे नेता थे जिनका विरोधी और अल्पसंख्यक समुदाय भी इज्जत करता था। दादा शहर की हर समस्या के समाधान के लिए सदैव तत्पर रहते थे। बनारस में लगातार बिजली कटौती पर दादा अपने ही सरकार के विरोध में धरने पर बैठ गए थे। भाजपा के दिग्गज नेताओं को भी उन्हें मनाने में पसीना छूट गया था। आखिरकार बिजली कटौती को लेकर ठोस आश्वासन मिलने पर ही दादा माने थे।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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