West Bengal

झंटु शेख के घर पहुंचे शुभेंदु अधिकारी, तृणमूल बोली- बहुत देर आए

कोलकाता, 29 अप्रैल (Udaipur Kiran) । जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए सेना के कमांडो झंटु अली शेख के तेहट स्थित घर पहुंचे राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी। इस दौरे को लेकर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने तंज कसते हुए इसे ‘बिलंबित कदम’ करार दिया है।

बलिदानी के पार्थिव शरीर के तेहट पहुंचने पर तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा समेत कई तृणमूल नेता, कांग्रेस और माकपा के प्रतिनिधि श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। लेकिन भाजपा की ओर से किसी भी नेता की अनुपस्थिति को लेकर विपक्ष ने तीखी आलोचना की थी। यहां तक कि तृणमूल और वामदलों ने आरोप लगाया कि झंटु शेख मुस्लिम थे, इसीलिए भाजपा नेताओं ने जानबूझकर उनके घर न जाने का फैसला किया।

तृणमूल की लगातार आलोचना और वायरल हुए एक ऑडियो क्लिप के बाद भाजपा के भीतर दबाव बढ़ा। ऑडियो में कथित तौर पर नदिया के कुछ भाजपा नेताओं को यह कहते हुए सुना गया कि बलिदानी के घर जाने से “कोई वोट नहीं मिलेगा”, इसलिए जाना जरूरी नहीं।

भाजपा सांसद शमीक भट्टाचार्य ने सफाई देते हुए कहा था कि पार्टी का स्थानीय नेतृत्व पहले ही बलिदानी के घर पहुंच चुका है और शीर्ष नेतृत्व भी जल्द जाएगा। उन्होंने कहा था, बलिदानी का कोई धर्म नहीं होता।

इसी पृष्ठभूमि में मंगलवार को शुभेंदु अधिकारी भाजपा विधायकों के प्रतिनिधिमंडल के साथ झंटु शेख के घर पहुंचे। उन्होंने शेख के परिजनों से मुलाकात कर संवेदना जताई और भाजपा की ओर से आर्थिक सहायता भी दी जा सकती है।

झंटु शेख की पत्नी झूमा और दो बच्चे तनवीर व रेहाना, जो उत्तर प्रदेश के आगरा में सेना कैंट में रहते हैं, मृत्यु की खबर मिलने के बाद दिल्ली होते हुए तेहट पहुंचे। शुभेंदु अधिकारी ने उनसे भी मिलने की इच्छा जताई है।

सत्तारूढ़ तृणमूल के वरिष्ठ नेता व पूर्व ज़िला परिषद प्रमुख बानी राय ने कटाक्ष करते हुए कहा कि जो ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते हैं, वही देश की रक्षा में शहीद होने वालों को सम्मान नहीं देते। जब कांग्रेस और माकपा नेता हमारे साथ थे, तब भाजपा के स्थानीय नेता कफन-दफन तक में शामिल नहीं हुए। अब जब जनता ने सवाल उठाए, तो भाजपा को देर से सही लेकिन बोध हुआ।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता ने कहा कि हम किसी बलिदानी के घर कब जाएंगे, इसका हिसाब तृणमूल, कांग्रेस या माकपा को नहीं देना है। विपक्ष के नेता को मुर्शिदाबाद में विस्थापितों की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ी, इसलिए वह देरी से पहुंचे। यह यात्रा मानवता के तहत है, वोट की राजनीति से इसका कोई लेना-देना नहीं।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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