हरिद्वार, 20 सितंबर (Udaipur Kiran) । निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी नर्मदा शंकर पुरी महाराज ने कहा है कि श्रीमद् भागवत कथा पतित पावनी मां गंगा की भांति बहने वाली ज्ञान की अविरल धारा है। जिसे जितना ग्रहण करो उतनी ही जिज्ञासा बढ़ती है और प्रत्येक सत्संग से अतिरिक्त ज्ञान की प्राप्ति होती है। भूपतवाला स्थित महाराजा अग्रसेन सेवा सदन ट्रस्ट अग्रवाल भवन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए स्वामी नर्मदा शंकरपुरी महाराज ने कहा कि कथा की सार्थकता तभी है कि जब हम इसमें निहित ज्ञान को अपने जीवन व्यवहार में शामिल करें।
श्रीमद् भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है इससे संशय दूर होता है और शांति व मुक्ति मिलती है। कथा के श्रवण मात्र से प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। भागवत से भक्ति एवं भक्ति से शक्ति की प्राप्ति होती है। इसलिए निरंतर हरि स्मरण करते हुए भगवान की भक्ति में लीन रहना चाहिए।
उन्होंने कहा की कथा और सत्संग के माध्यम से ही व्यक्ति भगवान की शरण में पहुंचता है। अन्यथा वह इस कलयुग की मोह माया में पड़कर अपना जीवन व्यर्थ गंवाता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को समय निकालकर कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। भगवान श्री कृष्णा और भक्त की यह पावन कथा मोक्ष प्रदान करने वाली है।
श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण कलयुग में साक्षात भगवान के दर्शन के बराबर है भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं अपरम्पार है। भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला देखने के लिए देवों के देव महादेव को भी गोपी का रूप धारण करना पड़ा था। वास्तव में हर व्यक्ति को कथा के दर्शन नहीं होते सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही कथा श्रवण का अवसर प्राप्त होता है। श्रीमद् भागवत कथा का स्मरण करने से हमारा मन और अंतःकरण पवित्र होता है और अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर पवन गर्ग, राजेंद्र गर्ग, रमेश मित्तल, राहुल गुप्ता, सोनी गोयल सहित सैकड़ो श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला