
जम्मू, 25 मई (Udaipur Kiran) । नवग्रहों में श्री शनिदेव जी को सर्वाधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली ग्रह माना जाता है। इस वर्ष श्री शनिदेव जयंती 27 मई, मंगलवार को मनाई जाएगी। इस संदर्भ में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं ज्योतिषाचार्य महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि धर्मग्रंथों के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या के दिन श्री शनिदेव जी का जन्म हुआ था। मान्यता है कि शनिदेव, भगवान सूर्य और माता छाया के पुत्र हैं। ज्येष्ठ अमावस्या तिथि इस वर्ष 26 मई, सोमवार को दोपहर 12:12 बजे प्रारंभ होकर 27 मई, मंगलवार को प्रातः 08:32 बजे समाप्त होगी। चूंकि 27 मई को अमावस्या सूर्योदय व्यापिनी है, अतः इसी दिन श्री शनिदेव जयंती मनाई जाएगी।
श्री शनिदेव न्यायप्रिय, दंडाधिकारी तथा कलियुग के न्यायाधीश माने जाते हैं। उनका कार्य सृष्टि में संतुलन बनाए रखना है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वे कर्म, सेवा, नौकरी तथा व्यवसाय के कारक ग्रह हैं। इनके प्रभाव से मानव जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन आते हैं। श्री शनिदेव जयंती के अवसर पर पूजा-पाठ और अनुष्ठान करने से कुंडली के शनि दोष, ढैय्या तथा साढ़ेसाती के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है। वर्तमान में श्री शनिदेव की साढ़ेसाती कुंभ, मीन एवं मेष राशियों पर है—कुंभ पर अंतिम चरण, मीन पर दूसरा चरण तथा मेष पर पहला चरण चल रहा है। वहीं सिंह और धनु राशियों पर शनि की ढैय्या प्रभावी है। इन राशियों के जातकों को विशेष रूप से सतर्क रहने की आवश्यकता है। साथ ही, जिनकी कुंडली में शनि की महादशा या अंतरदशा चल रही हो, उन्हें भी विशेष उपाय करने चाहिए।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
