भारत-नेपाल सम्बन्धों का बूस्टर डोज है सीता राम विवाहोत्सव
अयोध्या, 24 नवंबर (Udaipur Kiran) । श्रीराम लक्ष्मण के साथ मुनि विश्वामित्र की उपस्थिति में त्रेतायुग में भले ही राम सीता का स्वयंवर संपन्न हुआ हो, रोटी-बेटी का रिश्ता बना हो पर आज यह परम्परा समय की आवश्यकता बन गई है। भारत और नेपाल के बीच प्राचीन मैत्री की जड़ों को मजबूत करने के लिए शुरू की गई विश्व हिंदू परिषद (विहिप ) की मुहिम दोनों देशों के सांस्कृतिक सम्बन्धो को मजबूत कर रही है। श्रीराम तिलकोत्सव और श्रीराम विवाह दोनों ही आयोजन रिश्तों में मिठास की मधुरता घोल रहे हैं।
राम कथा के अनुसार त्रेतायुग में मुनि विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा को गए राम और लक्ष्मण उनके साथ जनकपुर में आयोजित धनुष यज्ञ देखन पहुंचे थे। जहां विदेहराज को उदास देख मुनि विश्वामित्र की आज्ञा पर श्रीराम ने अजगव का भंजन किया और सीता ने वरण कर स्वयंवर की परंपरा का निर्वाह किया। तब से जनकपुर (नेपाल) में विवाह पंचमी पर श्रीराम विवाह का परम्परागत आयोजन होता चला आ रहा है।प्राचीनतम समय से चले आ रहे सांस्कृतिक आध्यात्मिक कार्यक्रमों के आयोजन को नया कलेवर देने का निर्णय लिया गया। जनकपुर में विवाह पंचमी पर राम विवाह का आयोजन होता ही था। किसी समय अयोध्या से लक्ष्मण किलाधीश श्रीराम बारात लेकर गए थे।
विहिप ने इसी विरासत को और मजबूत करने का निर्णय लेकर वर्ष 2004 में पहली बार अयोध्या से श्रीराम बारात का आयोजन किया। कार्यक्रम की सफलता का आकलन इसी से किया जा सकता है कि तत्कालीन नेपाल नरेश ज्ञानेंद्र वीर विक्रम शाह देव ने उपस्थित होकर बारात का भव्य स्वागत किया था। तब से प्रत्येक 5 वर्ष के अंतराल पर 2009, 2014, 2019 में लगातार श्रीराम बारात का भव्य आयोजन होता रहा। इन आयोजनो में तिलक की रस्म अदायगी के लिए डेढ़ से दो दर्जन लोग जनकपुर से आकर इस परंपरा का निर्वहन करते रहे।
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के नूतन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के बाद इस वर्ष वृहद स्तर पर तिलकोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें मधेश प्रदेश के मुख्यमंत्री सतीश कुमार सिंह, जनकपुर के मेयर मनोज कुमार शाह ने स्वयं मौजूद रहकर सांस्कृतिक एकता के सूत्र को मजबूत किया।दोनों देशों के बीच इन सांस्कृतिक आयोजनो की परंपरा ने हमारे रिश्तों को अधिक मजबूती प्रदान की।
लोकगीतों के माधुर्य ने किया सबको अभिभूतलगभग ढाई दशक पूर्व शुरू की गईं अयोध्या धाम से जनकपुर तक सीताराम विवाह महोत्सव बरात यात्रा की परिपाटी ने अधिकांश नेपाली समाज में वैचारिक परिवर्तन की अलख जगाई।बारात के स्वागत में पलक पांवड़े बिछा कर उत्सुक समाज के आतिथ्य का अहसास सीतामढ़ी, पुनौरा धाम (माता सीता का जन्म स्थान) से ही शुरू हो जाता है।जनकपुर में नगर भ्रमण के दौरान बरातियों पर मार्ग में जितनी पुष्प वर्षा होती है। उससे कहीं अधिक वे पूर्वांचल के वैवाहिक गारी लोकगीतों से सराबोर होते है। गारी गीतों के बीच रिश्तों की मधुर डोर और अधिक मजबूत होती है। गीतों की इस परम्परा को कोई बुरा नहीं मानता और एक अलग तरह की आत्मीयता व अनोखे आनंद की अनुभूति अनुभव कराता है।दशरथ स्वरूप में बरात में मौजूद वरिष्ठों को समधी रिश्ते की अनुभूति जनकपुर की महिलाएं जिस तरह कराती है। उसका केवल अनुभव ही किया जा सकता है।महिलाओं के गीतों के मधुर स्वर ने कुछ ऐसा असर छोड़ा कि प्रेम रस के इस परम्परागत फाग के रस में सभी लोग सराबोर होकर अपनी सुध बुध खो देते हैं।
जनकपुर जाएंगे 500 बाराती, 26 नवम्बर को रवाना होगी श्रीराम बारात
राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार श्रीराम बारात में देश भर का प्रतिनिधित्व दिखाई देगा। लगभग 17 प्रांतों के रामभक्त बारात में शामिल होने के लिए अयोध्या पहुंच रहे हैं। 26 नवंबर को सुबह 08:30 बजे निकलने वाली बारात के लिए चार विशेष रथ को भी तैयार किया गया है, जिसमें एक पर 51 तीर्थों का जल रहेगा। बारात में दूल्हा बने चारों भाइयों के स्वरूप के साथ मूर्तियों को भी शामिल किया जाएगा। तकरीबन 500 बाराती जनकपुर पहुंचेंगे। तिरुपति के 40 पंडित विवाह संपन्न कराएंगे।
तीर्थाटन परम्परा से समृद्ध होता है राष्ट्र: सतीश कुमार सिंहनेपाल राष्ट के मधेश प्रदेश के मुख्यमंत्री सतीश कुमार सिंह का मानना है कि दोनों देशों के बीच बेजोड़ सांस्कृतिक तालमेल है। यह परंपरा त्रेतायुग से चली आ रही है, जिसे यह आयोजन और मजबूती दे रहे हैं।इससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और पर्यटन संबंधों में मजबूती आई है।माना जाता है कि सीता के बिना राम अधूरे हैं, इसलिए राम लला के दर्शन के बाद श्रद्धालु जनकपुर में जानकी माता के दर्शन करेंगे तब उनकी धार्मिक यात्रा पूर्ण होगी।(ऐसी मान्यता केदारनाथ और पशुपति नाथ के साथ है भी) इससे पर्यटन उद्योग विकसित होगा।पर्यटन विकास से आर्थिक स्थिति स्वयं मजबूत होगी। जिससे गलत तत्व कमजोर पड़ते हैं। शिक्षा का विकास होता है और नकारात्मक क्रियाकलापों से लोग दूरी बनाते हैं।
26 नवंबर को प्रस्थान करेगी श्रीराम बरात : राजेंद्र सिंह पंकजविश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री व श्रीराम बरात के संयोजक राजेंद्र सिंह ‘पंकज’ ने बताया कि श्रीराम विवाह में शामिल होने वाले साधुओं और श्रद्धालुओं का पंजीकरण किया जा रहा है। कारसेवकपुरम परिसर से 26 नवंबर को बरात प्रस्थान करेगी। क्रमशः बक्सर, पटना, कांटी, सीतामढ़ी पुनौरा धाम, आदि स्थानों पर विश्राम लेते हुए 3 दिसंबर को बरात जनकपुर पहुंचेगी। 4 दिसंबर को समधी मिलन, 5 दिसंबर को मटकोर और 6 दिसंबर को राम जानकी मंदिर 12 छत बीघा मैदान में विवाह समारोह का आयोजन होगा।विहिप उपाध्यक्ष एवं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय के संरक्षण में होने वाले इस आयोजन में प्रमुख रूप से नरेंद्र बिंदल, रघुनाथ शाह, राम प्रकाश मिश्र, रमेश मिश्र व राजकिशोर सिंह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
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(Udaipur Kiran) / पवन पाण्डेय