कानपुर, 26 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । दीपावली के त्योहार में घरों को कितना भी सजा लें, लेकिन पूजा के लिए प्रयोग होने वाली लइया, चूरा, गट्टा और खील के बिना त्योहार मनाया ही नहीं जा सकता। इसकी मांग हर घरों पर होती है और कानपुर के बाजारों में इन दिनों का इसका बाजार पूरी तरह से सज चुका है। इसमें सबसे बड़ा बाजार एक्सप्रेस रोड का है जहां पर कानपुर ही नहीं कई जिलों के थोक दुकानदार पूजा में प्रयोग होने वाली यह सामग्री खरीदने आते हैं।
दीपावली पर्व पर पूजा में प्रयोग होने वाली खाद्य सामग्री लइया, चूरा, खील, गट्टा आदि की थोक की दुकानें लरोड से घण्टाघर जाने वाली एक्सप्रेस रोड पर लग गयी हैं। इस अस्थायी बाजार को सजाने के लिए नगर ही नहीं आसपास के जिलों के व्यापारी यहां पर आतें हैं और रात में वापस अपने घरों को चले जाते हैं। कुछ व्यापारी होटलों में तो कुछ वहीं पर तिरपाल तान कर रात बिता लेते हैं। इन दुकानों से कानपुर के आसपास व ग्रामीण अंचलों से आने वाले लोग खरीदारी करने पहुंचते हैं। लगभग एक किलोमीटर के परिक्षेत्र में लगने वाली इन दुकानों से दीपावली के दिन तक करोड़ों का व्यापार होने की संभावना रहती है। यहां पर व्यापारी दीपावली के पूजन में प्रयोग होने वाली सामग्री को बेंचते है। लईया, खील, चूरा और गट्टे की आढ़त का दाम वहां आने वाले किसान बाजार के व्यापारियों के साथ मिलकर तय करते हैं। बाजार खुलते समय रेट रोजाना तय किए जाते हैं। माना जाता है कि त्योहार के पास आते ही जैसे-जैसे मांग बढ़ती जाती है वैसे-वैसे सामग्रियों के दामों में भी बढोत्तरी तय किया जाता है। लइया के थोक व्यापारी विशाल शुक्ला ने शनिवार को बताया कि इस बार चावल का समर्थन मूल्य बढ़ जाने से इन खाद्य सामग्रियों के दाम में बढ़ोत्तरी हुई है।
मांग पर तय होते हैं रेट
व्यापारी अनुराग गुप्ता ने बताया कि यहां पर रेट रोजाना मांग के अनुसार तय होते हैं। बाजार में पहले दिन जो भाव खुले है उसमें थोक में खील जो बीते साल 50 से 56 रुपया प्रति किलो थोक के हिसाब से बिकी थी इस बार उसके रेट में उछाल आया है इस बार वो 90 से 107 रुपया प्रति किलो तक पहुंच गई है। बऊअन ने बताया कि किस्म के अनुसार लइया 40 से 50, खील 50 से 60, चूरा 40 से 45 रुपया प्रति किलो बिक रहा है। मीठे सामान में गटटा 65, इलाइची दाना 68 तथा शक्कर के खिलौने 70 रुपया प्रति किलो थोक भाव है। वहीं फुटकर बाजार में इसमें इजाफा हो जाता है। व्यापारी रंजन कुशवाहा ने बताया कि अभी शुरुआत है और रोजाना बाहरी व्यापारी आ रहे हैं और मांग पर ही रेट तय होते हैं। अगर व्यापारियों का आना कम हुआ तो दाम भी नीचे जा सकते हैं। हालांकि हर वर्ष माल कम पड़ जाने से बाजार में दाम कम नहीं होते।
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(Udaipur Kiran) / अजय सिंह