Uttar Pradesh

शूलटंकेश्वर महादेव: बाबा भक्तों के समस्त शूल को हर लेते हैं

शूलटंकेश्वर महादेव

-मंदिर के घाटों से टकरा कर गंगा काशी में उत्तरवाहिनी होकर प्रवेश करती है,ऋषि-मुनियों ने शिवलिंग का नाम शूलटंकेश्वर रखा

वाराणसी,29 जुलाई (Udaipur Kiran) । काशी के कण-कण में शिव बसते है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री काशी विश्वनाथ (बाबा विश्वेश्वर )इसी शहर में विराजमान है। यहां के गंगाघाटों और संकरी गलियों से लेकर ग्रामीण अंचल में स्थापित शिवलिंगों और मंदिरों की अपनी विशेषता और महिमा है। ऐसा ही एक मंदिर शूलटंकेश्वर गंगा के किनारे माधवपुर रोहनिया में विराजमान है।

काशी के दक्षिणी कोने में स्थित शूलटंकेश्वर महादेव मंदिर के घाटों से टकराकर गंगा की लहरें उत्तरवाहिनी होकर काशी में प्रवेश करती हैं। पौराणिक मान्यता है कि गंगा अवतरण के समय महादेव ने इसी स्थान पर अपने त्रिशूल से गंगा को रोक कर वचन लिया था कि वह काशी नगरी को स्पर्श करते हुए प्रवाहित होंगी। एस समय गंगा की लहरों का वेग इतना ज्यादा था कि पुरी काशी अथाह जलसागर में समा गई होती। तब गंगा ने महादेव को बचन दिया कि काशी और यहां के रहने वाले लोगों को कोई नुकसान नहीं होगा। साथ ही काशी में गंगा स्नान करने वाले किसी भी भक्त को भी जलीय जीव से हानि नहीं होगी। गंगा ने इन वचन को स्वीकार कर लिया तब महादेव ने अपना त्रिशूल वापस खींच लिया।

इसी मान्यता के चलते ऋषियों-मुनियों ने इस शिवलिंग का नाम शूलटंकेश्वर रखा। लोगों में विश्वास है कि यहां मंदिर में दर्शन पूजन करने पर महादेव अपने भक्तों के समस्त शूल को हर लेते हैं। उनके दुख दूर हो जाते हैं। इस मंदिर में हनुमान जी, मां पार्वती, भगवान गणेश, कार्तिकेय के साथ नंदी के विग्रह विराजमान हैं।

शिव आराधना समिति के संस्थापक अध्यक्ष डॉ मृदुल मिश्र बताते है कि माधव ऋषि ने गंगा अवतरण से पहले यहां भगवान शिव की अखंड आराधना के लिए ही शिवलिंग की स्थापना की थी। इस मंदिर को काशी का दक्षिण द्वार भी कहा जाता है। गंगा यहीं से उत्तरवाहिनी होकर काशी में प्रवेश करती हैं। पौराणिक महत्व के इस शिवमंदिर का शिव पुराण में भी उल्लेख है। मंदिर के विकसित रूप में रोहनिया के पूर्व भाजपा विधायक सुरेन्द्र नारायण सिंह ‘औढ़े’ का भी योगदान है। मंदिर का सिंह द्वार, दर्शनार्थियों के लिए टिन शेड, घाट का सुंदरीकरण शिवभक्तों को भाता है। सावन माह में यहां शिवभक्तों की भीड़ उमड़ती है।

(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी / मोहित वर्मा

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