मीरजापुर, 30 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । विंध्याचल के मोतीझील मार्ग पर स्थित मां विंध्यवासिनी सेवा समिति के प्रांगण में रामलीला मंचन के दसवें दिन मंगलवार की रात श्रीराम एवं लक्ष्मण सहित हनुमानजी की आरती व पूजन अर्चन कर लीला का शुभारंभ किया गया।
युद्ध के दौरान मेघनाथ का वध होता है एवं उसका सिर राम के चरणों में गिरता है, सुलोचना एवं रावण का संवाद होता है। रामलीला के अंतिम चरण में मंदोदरी ने रावण को तिलक लगाकर युद्ध में जाने के लिए विदाई करती है। रावण द्वारा शिव तांडव युद्ध के दौरान राम एवं रावण के बीच युद्ध होता है। युद्ध के दौरान राम ने कई बार रावण को मारे लेकिन उनकी मौत नहीं हुई। विभिषण ने राम को बताया कि रावण के नाभि में तीर मारने से उनकी मौत होगी। राम रावण की नाभि में तीर मारते हैं और दशानंद की मौत हो जाती है। श्रीराम के आदेश पर हनुमान पंचवटी से माता जानकी को ले आते हैं। रामलीला के अंतिम दिन विन्ध्याचल व आसपास के क्षेत्रों से नर नारियों का हुजूम उमड़ पड़ा। शिव तांडव देख दर्शक भाव विभाेर हो उठे।
राम की भूमिका में कमल मिश्र, सीता की भूमिका अंजु प्रभा, लक्ष्मण कि भूमिका देवी दीक्षित, हनुमान की भूमिका विक्रम मिश्र, मंदोदरी की भूमिका पूजा, अहिरावण की भूमिका प्रशांत द्विवेदी ने की। व्यास की भूमिका गोपी मिश्र एवं मंच संचालन कार्यक्रम संयोजक आदर्श उपाध्याय ने किया।
संस्था के संरक्षक प्रकाश चंद पांडेय व अध्यक्ष संगम लाल त्रिपाठी ने पदाधिकारी एवं सदस्यों को वस्त्र एंव स्मृति चिह्न भेट कर उनका सम्मान किया। इस दौरान मंत्री कमल मिश्र, डारेक्टर राज गिरी, मीडिया प्रभारी संतोष कुमार समेत संस्था के पदाधिकारी एवं सदस्य मौजूद थे।
(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा